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स्टेशन पर मिलने वाले बच्चों के प्रति हो अच्छा व्यवहार

रेलवे परिसर स्थित आरपीएफ कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें जयपुर की सामाजिक संस्था टाबर के प्रतिनिधियों ने आरपीएफ , जीआरपी व बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के साथ विचार विमर्श किया। टाबर संस्था की उपाध्यक्ष शाहिना परवीन ने कहा कि विषम परिस्थितियों में ट्रेन या स्टेशन पर मिलने वाले बच्चों के प्रति नजरिया व सोच को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर मंडल व टाबर संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आरपीएफ व जीआरपी के अधिकारियों व जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 09:59 PM (IST)
स्टेशन पर मिलने वाले बच्चों के प्रति हो अच्छा व्यवहार
स्टेशन पर मिलने वाले बच्चों के प्रति हो अच्छा व्यवहार

जासं, रेवाड़ी : रेलवे परिसर स्थित आरपीएफ कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें जयपुर की सामाजिक संस्था टाबर के प्रतिनिधियों ने आरपीएफ, जीआरपी व बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के साथ विचार-विमर्श किया। टाबर की उपाध्यक्ष शाहिना परवीन ने कहा कि विषम परिस्थितियों में ट्रेन या स्टेशन पर मिलने वाले बच्चों के प्रति नजरिया व सोच को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर मंडल व टाबर के संयुक्त तत्वावधान में आरपीएफ व जीआरपी जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें संवेदनशील करने के लिए परियोजना के अंतर्गत जयपुर मंडल के पांच स्टेशन थानों जयपुर, गांधीनगर, रेवाड़ी, अलवर व बांदीकुई का चयन किया गया है, जहां प्रति माह इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए इन बच्चों के प्रति अपनी सोच नजरिया एवं व्यवहार बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर अपनी मर्जी या खुशी से नही आता है, बल्कि वह बच्चा एक दर्द भरी कहानी छुपाये होता है। ट्रेन के माध्यम से बच्चों की तस्करी अधिकतर होती है। उन्होंने कहा कि बाल तस्करी को रोकने के लिए आरपीएफ व जीआरपी को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जिला बाल कल्याण समिति सदस्य प्रो. राकेश भार्गव ने कहा कि आरपीएफ व जीआरपी बाल सरक्षंण तंत्र में महत्वपूर्ण हितकारक है, परन्तु बाल मुद्दों पर जानकारी, जागरूकता, प्रशिक्षण एवं संवेदनशीलता के अभाव के चलते बालकों के मुद्दे प्राथिमकता से नहीं उठाए जाते हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर लक्ष्मण गौड़ ने आरपीएफ व जीआरपी के सहयोग से जिले में चाईल्ड हेल्पलाइन खोलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आरपीएफ व जीआरपी ने अपने स्तर आरपीएफ मित्र व रेलवार्डन सदस्यों के साथ सूचना साझा कर परिवार से बिछड़े काफी बच्चों को उनके परिवार से मिलाया है। इस अवसर पर टाबर संस्था सदस्य राजीव शर्मा ,बाल कल्याण समिति सदस्य उपासना गुप्ता, बाल संरक्षण इकाई सदस्य प्रदीप यादव, जीआरपी एएसआइ दयाराम, आरपीएफ मित्र रमेश वशिष्ठ उपस्थित थे।

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