मैदान में सुविधाएं नहीं, खिलाड़ियों का जज्बा बरकार
औद्योगिक क्षेत्र स्थित राजीव गांधी स्टेडियम में सुविधाओं का अभाव है। स्टेडियम के एक किनारे नगर पालिका का कूड़ा घर बना हुआ है तो दूसरी ओर यहां खिलाड़ियों के लिए पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद खेलों के प्रति रुचि रखने वाले खिलाड़ियों का हौसला कम नहीं हो रहा है।
संवाद सहयोगी, धारूहेड़ा: औद्योगिक क्षेत्र स्थित राजीव गांधी स्टेडियम में सुविधाओं का अभाव है। स्टेडियम के एक किनारे नगर पालिका का कूड़ा घर बना हुआ है तो दूसरी ओर यहां खिलाड़ियों के लिए पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद खेलों के प्रति रुचि रखने वाले खिलाड़ियों का हौसला कम नहीं हो रहा है। खेल विभाग की ओर से नियुक्त प्रशिक्षक भीम अवार्डी सतबीर सिंह के मार्गदर्शन में प्रतिदिन 50 से अधिक युवा दौड़, डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो आदि का अभ्यास करने आते हैं।
धारूहेड़ा शहर से करीब दस किलोमीटर दूर औद्योगिक कस्बे में बनाए गए स्टेडियम में प्रशिक्षक के मार्गदर्शन के चलते यहां रेवाड़ी के साथ गुरुग्राम से भी खिलाड़ी अभ्यास करने आते हैं। युवाओं का प्रशिक्षक के प्रति ज्यादा लगाव होने के कारण एथलेटिक ज्यादा खिलाड़ी पहुंच रहे हैं। प्रशिक्षक के सान्निध्य में दर्जनों खिलाड़ी विशेषकर दिव्यांग खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीयस्तर पर पदक जीत चुके हैं। इतना ही नहीं प्रशिक्षक सतबीर सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद बहुत से युवा सेना में करियर बना रहे हैं।
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जहां तक स्टेडियम में सुविधाओं की कमी की बात है इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया हुआ है। मेरा प्रयास खिलाड़ियों को खेलों में बेहतर बनाना है। किसी खिलाड़ी में खेलों में रुझान बढ़ता है उसे बेहतर मार्गदर्शन देकर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए तैयार किया जा सकता है। इसमें थोड़ी सुविधाएं मितली हैं तो खिलाड़ी कम समय में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।
- सतबीर सिंह, प्रशिक्षक, राजीव गांधी खेल परिसर धारूहेड़ा।