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जित्रा दिवस के अवसर पर रेजीमेंट के साहस को किया याद

56 पर्वतीय कंपोजिट रेजीमेंट (पैक) की ओर से जित्रा दिवस का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में जनरल पुष्पेंद्र सिंह विशेष तौर पर मौजूद रहे। अपने संबोधन में जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि प्रारंभ में इस रेजीमेंट में दो ऐतिहासिक बैट्रियां चार (हजारा) फ्रंटीयर फोर्स और 145 माउटेंन बैट्रियां थीं। बाद में दो और बैट्रियों को इसमें शामिल किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 07:48 PM (IST)
जित्रा दिवस के अवसर पर रेजीमेंट के साहस को किया याद
जित्रा दिवस के अवसर पर रेजीमेंट के साहस को किया याद

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: 56 पर्वतीय कंपोजिट रेजीमेंट (पैक) की ओर से जित्रा दिवस का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में जनरल पुष्पेंद्र सिंह विशेष तौर पर मौजूद रहे। अपने संबोधन में जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि प्रारंभ में इस रेजीमेंट में दो ऐतिहासिक बैट्रियां चार (हजारा) फ्रंटीयर फोर्स और 145 माउटेंन बैट्रियां थीं। बाद में दो और बैट्रियों को इसमें शामिल किया गया।

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उन्होंने कहा कि रेजीमेंट का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण गाथाओं से भरा पड़ा है। सन 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चार हजारा फ्रंटीयर फोर्स बैट्री, एलाईड फोर्स का हिस्सा बनी और इसे मलाया में जित्रा नामक शहर में तैनात किया गया। इस युद्ध में एलाईड फोर्स को विजय दिलाने का श्रेय इस बैट्री को मिला। इसके चलते ही चार हजारा बैट्री को जित्रा नामक युद्ध सम्मान से सम्मानित किया गया। हर वर्ष 11 दिसंबर को जित्रा दिवस का आयोजन किया जाता है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध में 95 माउंटेन ब्रिगेड के सहयोग में इस रेजीमेंट को तैनात किया गया। कमालपुर और जमालपुर के ऐतिहासिक युद्ध में रेजीमेंट के रणबांकुरों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। 10 दिसंबर 1971 की रात को निर्णायक युद्ध हुआ।

कैप्टन (अब कर्नल) पीपी भगत ने ऐसी भीषण बम वर्षा की, कि सुबह की पहली रोशनी में दुश्मन की अनगिनत लाशें तितर-बितर दिखाई दी। जमालपुर के गिरने के बाद भारतीय फौज का ढाका पहुंचने का रास्ता आसान हो गया और मात्र 13 दिनों में भारतीय सेना ने 230 किमी. तक का ढाका का फासला तय किया। इस लड़ाई में दुश्मन के 497 सैनिक मारे गये, 500 ने आत्मसमर्पण किया। अदम्य शौर्य के लिए रेजीमेंट के जवानों को सात युद्ध सम्मान, एक महावीर चक्र, दो वीर चक्र, दो मैन्शन डिसपैच से सम्मानित किया गया था। इस युद्ध में रेजीमेंट के कैप्टन वीपी सिंह (वीर चक्र), आपरेटर हंसराज, आपरेटर पांडुरंगन शहीद हुएथे। इस दौरान कर्नल सीएस बेहरा, कर्नल बख्शी, कर्नल एचपी यादव, मेजर बिरेंद्र सिंह, सुबेदार हरिसिंह, सुबेदार धर्मसिंह, सुबेदार मेजर रामफल, कैप्टन रणबीर सिंह, सुबेदार रणधीर सिंह सहित अन्य पूर्व सैनिक उपस्थित थे।


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