18 गांव बने हाट स्पाट, हर गांव में 15 से 20 बीमार
गांवों में कोरोना तेजी से अपने पैर पसार रहा है। अब तो जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : गांवों में कोरोना तेजी से अपने पैर पसार रहा है। अब तो जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है। शायद ही कोई ऐसा गांव हो जहां पर 15 से 20 लोग बीमार नहीं हैं। इसके अतिरिक्त 18 हाट स्पाट गांवों को तो खुद प्रशासन की तरफ से चिह्नित कर लिया गया है। इन बिगड़ते हालातों के बीच स्वास्थ्य विभाग अब भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर नहीं आया है। गांवों में बड़े स्तर पर टेस्टिंग अभियान चलाने व लोगों को जागरूक करने की जरूरत है लेकिन ऐसा अभी कुछ नहीं हो रहा है।
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दो दिन बुखार के बाद ही हो रही बुजुर्गों की मौत जिले के दर्जनों गांवों में अचानक से बड़ी उम्र के लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। गांव निमोठ में बीते एक सप्ताह में करीब दर्जनभर लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर लोगों ने अपनी कोविड जांच नहीं कराई थी। दो दिन बुखार हुआ और दम तोड़ दिया। इसी तरह से गांव जैनाबाद व डहीना में भी बीते पंद्रह दिनों के दौरान बड़ी तादाद में लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जैनाबाद के सरपंच गोपीचंद बताते हैं कि गांव में एक माह के अंदर दर्जनभर लोगों की मृत्यु हुई है। हालांकि ज्यादातर उम्र दराज लोग ही थे लेकिन बुखार होने व हल्की तबीयत बिगड़ने की बात वह भी मानते हैं। कोसली व गुडियानी की तरफ भी हालात कोई ज्यादा बेहतर नहीं है। कुंड क्षेत्र के गांव बलवाड़ी में बीते 15 दिनों में 8 लोगों की मौत हो जाने की जानकारी सामने आई है। इनमें चार महिला व चार पुरुष हैं। ग्रामीण गांव में मेडिकल टीम भेजने की मांग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त जिले का ऐसा कोई भी गांव नहीं है जिसमें 20 से 25 लोग बीमार नहीं हो।
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हाट स्पाट की श्रेणी में कई गांव स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट व कोरोना संक्रमितों की तादाद के आधार पर जिला प्रशासन ने 18 गांवों को हाट स्पाट की श्रेणी में शामिल किया है। बोलनी, गुडियानी, कोसली, जैनाबाद, गुरुटेक सिटी, बास रोड़ धारूहेड़ा, लिलोढ़, गोकलगढ़, जाटूसाना, भाड़ावास, लुहाना, बव्वा, भाकली, कतोपुरी, सेक्टर-छह धारूहेड़ा, झाल, गिदोखर व टींट आदि गांवों में कोरोना संक्रमितों की तादाद बहुत अधिक हो चुकी है।
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इन कारणो से बढ़ रहा गांवों में कोरोना 1. टेस्ट नहीं करा रहे लोग
ग्रामीण अंचल में लोग बीमार होने के बावजूद टेस्ट नहीं करा रहे हैं। यही कारण है कि कोरोना का पता नहीं चल पा रहा तथा लोग एक-दूसरे से संक्रमित हो रहे हैं।
2. गांवों में आवाजाही जारी लाकडाउन के बावजूद गांवों में आवाजाही बदस्तूर जारी है। लोग झुंड बनाकर अभी भी बैठ रहे हैं तथा वैक्सीनेशन भी पूरी तरह से नहीं हो पाया है। गांवों में जागरूकता का पूरा अभाव है। 3. न पंचायत अलर्ट न स्वास्थ्य विभाग तीसरा और सबसे बड़ा कारण यह है कि इस बार पिछली दफा की तरह स्वास्थ्य विभाग व पंचायतें अलर्ट नहीं है। न तो गांवों में रास्तों को बंद किया गया है और न ही गांव सैनिटाइज हुए हैं, जबकि पहली लहर में हर पंचायत ने अपने गांव में पहरा लगाने के साथ उसे सैनिटाइज कर दिया था। स्वास्थ्य विभाग ने भी पिछली बार की तरह गांवों में घुसकर टेस्टिंग अभियान शुरू नहीं किया है।
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समय पर उपचार न कराना मौत का बड़ा कारण
ग्रामीण अंचल के लोग न तो समय पर टेस्ट करा रहे हैं और न ही उपचार करा रहे हैं। आइएमए के जिला प्रधान डा. पवन गोयल के अनुसार अगर किसी को मामूली से भी लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करने की आवश्यकता है। जो लोग शुरुआत के पांच से छह दिन घर पर ही घरेलू उपचार में समय बिता देते हैं उनको ही आगे चलकर ज्यादा परेशानी हो रही है तुरंत उपचार लेने से आगे परेशानी नहीं होती।
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जागरण सुझाव 1. हम कर चुके हैं तीन दिन में हर गांव कवर कोविड की पहली लहर में 300 से अधिक टीमें बनाकर जिले के हर गांव के हर घर की महज तीन दिन में स्क्रिनिग करा दी गई थी। ठीक उसी तर्ज पर इस बार भी स्क्रिनिग कराई जा सकती है।
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2. बढ़ाना होगा जांच का दायरा
गांवों में जिस किसी को भी खांसी, जुकाम व बुखार सहित अन्य लक्षण है तो उसका तुरंत प्रभाव से कोविड टेस्ट कराया जाए। टेस्टिग बढ़ेगी तो संक्रमण का पता चलेगा और इसे फैलने से रोका जा सकेगा।
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कोविड संक्रमण की दूसरी लहर निश्चित तौर पर ग्रामीण अंचल में तेजी से फैल रही है। इन हालातों को देखते हुए अब थ्री टी यानी टेस्टिग, ट्रेसिग व ट्रीटमेंट पर पूरा फोकस कर दिया गया है। सिविल सर्जन को भी इस बाबत निर्देश दे दिए गए हैं। शीघ्र ही स्थिति काबू में होगी।
-यशेंद्र सिंह, उपायुक्त