दृढ़ इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच से दी कोरोना को मात
22 अप्रैल की बात है। अचानक से मुझे बुखार आना शुरू हो गया। मुझे संकेत कुछ अच्छे नहीं लगे। बुखार के साथ ही पूरा बदन भी दर्द कर रहा था।
22 अप्रैल की बात है। अचानक से मुझे बुखार आना शुरू हो गया। मुझे संकेत कुछ अच्छे नहीं लगे। बुखार के साथ ही पूरा बदन भी दर्द कर रहा था। मैंने बिना कोई जोखिम उठाए खुद को पूरे परिवार से अलग कर लिया तथा घर के ही एक कमरे में आइसोलेट हो गया। घर में चूंकि बुजुर्ग माता-पिता भी हैं, इसलिए सबसे पहले उनको फार्म हाउस पर शिफ्ट कर दिया गया। तुरंत ही चिकित्सक से सलाह ली तथा सभी लक्षण बताएं। चिकित्सक ने जांच बताई तथा दवा भी शुरू कर दी। जांच में मैं कोरोना संक्रमित पाया गया, लेकिन मैंने अपने मन पर कतई बोझ नहीं आने दिया। परिवार को भी यही बताया कि मैं पूरी तरह से ठीक हूं। दो दिन के बाद मेरे बड़े बेटे दिव्य को भी बुखार आने लगा तथा तीसरे दिन छोटे बेटे तेजस्वी को बुखार आ गया। बुखार का यह सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। पांचवें दिन तक मेरी पत्नी भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी थी। यानी अब पूरा का पूरा परिवार ही कोरोना की चपेट में आ चुका था, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। पहले दिन से ही घर पर आक्सीमीटर ले आए तथा समय-समय पर आक्सीजन की जांच करते रहे। चिकित्सक के निर्देशानुसार दवा लेते रहे। नियमित तौर पर लेते रहे भाप दवा के साथ ही दिन में तीन से चार बार भाप लेना, गरारे करना भी नियमित आदत में शामिल हो गया। किसी भी तरह का तैलीय भोजन नहीं लिया तथा घर पर बना सादा व सुपाच्य भोजन का ही सेवन करते रहे। सुबह व शाम के समय पूरा परिवार एक साथ 40 से 45 मिनट पर प्रणायाम, अनुलोम-विलोम व अन्य श्वसन संबंधित क्रियाएं करते रहे, जिससे सहज ही हम ठीक होते चले गए। हम न तो खुद अपने घर से बाहर निकले और न ही किसी बाहर के व्यक्ति को अपने घर पर आने दिया। चौथे दिन से जो स्वाद व गंध चली गई थी, आठवें दिन से वह वापस लौटनी शुरू हो गई। अब मैं तथा मेरा पूरा परिवार पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति व सकारात्मक सोच से हमने कोरोना को मात दी।
-अमित यादव, पूर्व जिला महामंत्री भाजपा