10 साल में नहीं हटे सड़क से पशु, कोर्ट से बोला झूठ
सड़कों घूम रहे बेसहारा पशु लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। पहले कोर्ट से झूठ बोला और फिर सरकार से। जिला प्रशासन और नगर पि
अमित सैनी, रेवाड़ी पहले कोर्ट से झूठ बोला और फिर सरकार से। जिला प्रशासन और नगर परिषद के अधिकारियों के इसी झूठ ने दो सांडों की लड़ाई में अपनी जान गंवाने वाले युवक संजय उर्फ डॉली का हंसता खेलता परिवार उजाड़कर रख दिया। शहर की सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने के लिए बीते दस सालों से कोर्ट में मामला चल रहा है। न्यायालय के आदेश आ चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी उनकी पालना नहीं हो रही है तथा बेसहारा पशु ज्यों के त्यों ही सड़कों पर मौजूद है। 2010 में दिया था पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट ने आदेश सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं को सड़कों से हटवाने के लिए एडवोकेट सुनील भार्गव ने फरवरी 2010 में गुरुग्राम स्थित पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट में मामला डाला था। सितंबर 2010 में कोर्ट ने रेवाड़ी नगर परिषद को बेसहारा पशुओं को शहर से हटाने के आदेश दिए थे। आदेशों के बावजूद भी पांच साल तक जब सड़कों से पशु नहीं हटाए गए तो कोर्ट को नप की गाड़ी कुर्क कराने के वर्ष 2015 में आदेश देने पड़े थे। तब अधिकारियों ने कार्रवाई और जनता की असुविधा का हवाला देकर गाड़ी कुर्क होने से बचा ली थी। अक्टूबर 2017 में कागजों में हुआ स्ट्रे कैटल फ्री इसके बाद जिला प्रशासन व नगर परिषद ने सरकार से दूसरा झूठ बोला। सरकार की तरफ से सड़कों पर से बेसहारा पशुओं को हटाने के आदेश दिए गए तो अक्टूबर 2017 में जिला प्रशासन ने कुछ पशुओं को बाड़े में बंद करके रेवाड़ी को स्ट्रे कैटल फ्री घोषित कर दिया। कुछ दिनों बाद यही पशु बाड़े से मुक्त होकर फिर सड़कों पर आ गए।
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अब भी आदेशों की पालना का चल रहा है मामला एडवोकेट सुनील भार्गव ने वर्ष 2010 में कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों की पालना कराने के लिए आज भी सीजेएम कोर्ट में एग्जीक्यूशन पिटिशियन डाली हुई है। अब देखना यह है कि इस बार कौन सा झूठ बोलकर कोर्ट को गुमराह किया जाएगा।
----- हाई कोर्ट दिला चुका है 10 लाख रुपये मुआवजा मैं बीते 10 सालों से यह लड़ाई लड़ रहा हूं लेकिन नगर परिषद व जिला प्रशासन की तरफ से लगातार कोर्ट में झूठ बोला जा रहा है। सड़क पर बेसहारा पशु मौजूद है लेकिन उनको हटवाया नहीं जा रहा है। अगर बेसहारा पशुओं की वजह से कोई घायल, मौत या कोई अन्य तरह की परेशानी होती है तो पीड़ित पक्ष नगर परिषद को पार्टी बनाते हुए मुकदमा दर्ज करा सकता है। उच्च न्यायालय इस तरह के मामले में पीड़ित पक्ष को 10 लाख रुपये तक का हर्जाना दिला चुका है।
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दो बार छोड़े जा चुके हैं टेंडर नप की ओर से सड़कों पर से बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए दो बार टेंडर छोड़े जा चुके हैं लेकिन कभी पेमेंट का विवाद होने पर ठेकेदार चला जाता है तो कभी काम शुरू ही नहीं होता। लापरवाही के कारण बने हालात सभी के सामने है।
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ऐसा कतई नहीं है कि सड़कों से बेसहारा पशुओं को पकड़ा नहीं गया। हमने सैकड़ों पशु पकड़कर गोशालाओं में भिजवाए हैं। अब बाहर से लाकर पशु यहां छोड़े जा रहे है ऐसी बात हमारे सामने आई है। सड़कों से शीघ्र ही सभी पशुओं को हटवाया जाएगा। जो लोग अपने पशुओं को खुला छोड़ रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. विजयपाल, ईओ नप