हमदर्दी व मोहब्बत से पेश आने का संदेश देता है रमजान माह
मजान का महीना साल का सबसे मुबारक महीना है और यह महीना हमें सीख देता है कि पूरे साल दूसरों के साथ हमदर्दी व मोहब्बत के साथ पेश आना चाहिए।
रमजान का महीना साल का सबसे मुबारक महीना है और यह महीना हमें सीख देता है कि पूरे साल दूसरों के साथ हमदर्दी व मोहब्बत के साथ पेश आना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि खुद को भूख-प्यास से रोकने के साथ-साथ झूठ व बुराइयों के अलावा हर उस काम से खुद को रोकना है, जो गलत है। इस माह मुबारक में रहमतें व बरकतें नाजिल होती हैं। अल्लाह के रसूल (स.) ने शाबान के आखिरी महीने में इरशाद फरमाया कि तुम्हारे ऊपर एक अजीम महीना आ रहा है। वह बड़ा मुबारक महीना है, इस माह रमजान में जो दो रकाअत नफल नमाज पढ़ता है या किसी नेकी के साथ तकर्रुफ हासिल करता है। मानिद उस शख्स के जैसे रमजान में जो भी दो रकाअत फर्ज नमाज पढ़ता है, अल्लाह उसे फर्ज से 70 गुना ज्यादा शवाब देता है। अल्लाह के नबी (स.) ने फरमाया कि यह महीना बरकत व हुसने सुलूक का महीना है और इस महीने में मोमिन का रिज्क अर्थात रोजी बढ़ा दी जाती है। जो आदमी इस महीने में किसी रोजेदार को इफ्तार करवाए तो उसे रोजा रखने वाले के बराबर शवाब मिलता है और जहन्नुम के अजाब से आजाद कर दिया जाता है। कुरआन शरीफ में अल्लाह फरमाते है कि ऐ लोगों रोजा रखो तथा तकवा पैदा करो व परहेजगार बन जाओ। मकसद रोज रखने का यह है कि मेरे बंदे में गुनाहों से बचने की सलाहियत पैदा हो व बुराइयों से बच सके। हरेक मुसलमान मर्द-औरत को चाहिए कि कोरोना संक्रमण से अपना व दूसरों बचाव करते हुए अल्लाह की इबादत करें ताकि देश को इस गंभीर महामारी से मुक्ति मिले।
-मौलाना मोहम्मद इलियास, पेश इमाम, जामा मस्जिद घटाल भिवाड़ी।