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टंकी मामले में पार्षद सहित पांच दोषी, बस चेतावनी देकर छोड़ दिया

-शहर के मोहल्ला खासापुरा स्थित अंग्रेजों के जमाने की पानी की टंकी को तोड़ने के मामले में आरटीआइ से मिली जांच रिपोर्ट -जांच रिपोर्ट में अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए महज दी चेतावनी जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: शहर के मोहल्ला खासापुरा में अंग्रेजों के जमाने में पीतल व सोने सहित अन्य धातुओं से बनी पानी की टंकी को तोड़ने का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ रहा है। इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत जो जांच रिपोर्ट सामने आई है उसमें तत्कालीन एसडीएम व उपायुक्त ने एक पूर्व पार्षद सहित नगर परिषद के अधिकारियों को दोषी ठहराया हुआ है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। आरटीआइ मांगने वाले साकेत धींगड़ा ने अब इस मामले में सीएम ¨वडो पर शिकायत डालकर इस मामले में हुई कार्रवाई पर ही सवाल खड़े किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 07:24 PM (IST)
टंकी मामले में पार्षद सहित पांच दोषी, बस चेतावनी देकर छोड़ दिया

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : शहर के मोहल्ला खासापुरा में अंग्रेजों के जमाने में पीतल व सोने सहित अन्य धातुओं से बनी पानी की टंकी को तोड़ने का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ रहा है। इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत जो जांच रिपोर्ट सामने आई है, उसमें तत्कालीन एसडीएम व उपायुक्त ने एक पूर्व पार्षद सहित नगर परिषद के अधिकारियों को दोषी ठहराया हुआ है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। आरटीआइ मांगने वाले साकेत धींगड़ा ने अब इस मामले में सीएम ¨वडो पर शिकायत डालकर इस मामले में हुई कार्रवाई पर ही सवाल खड़े किए हैं। 2013 में तोड़ डाली थी ऐतिहासिक टंकी

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शहर के मोहल्ला खासापुरा में अंग्रेजों के जमाने में तांबा, पीतल व लोहे सहित अन्य धातुओं से बनी पानी की टंकी थी। इस पानी की टंकी को 30 अक्टूबर 2013 को नगर परिषद की तरफ से गुपचुप तरीके से तुड़वा दिया गया। पानी की टंकी से निकली धातु को कबाड़ी को बेच दिया गया। बाद में मामले ने तूल पकड़ा तो वर्ष 2014 में इस पूरे मामले की जांच शुरू हुई। एसडीएम ने अपनी जांच में स्पष्ट तौर पर तत्कालीन पार्षद संजय मलिक, नप के कनिष्ठ अभियंता, पालिका अभियंता, तत्कालीन सचिव व कार्यकारी अधिकारी को दोषी ठहराया था। हालांकि एसडीएम ने तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी को संदेह का लाभ देते हुए कहा था कि उनको प्रशासनिक अनुभव नहीं था इसलिए उनसे गलती हुई। वहीं जांच रिपोर्ट उपायुक्त के पास पहुंची तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि टंकी से निकला 6055 किग्रा. स्क्रैप नगर परिषद के स्टॉक में है तथा इससे नप को काई वित्तीय हानि नहीं हुई इसलिए सभी अधिकारियों को चेतावनी देकर भविष्य में सतर्क रहने के लिए कहा जाता है। आरटीआइ मांगने वाले साकेत धींगड़ा ने इस जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद सीएम को भेजी अपनी शिकायत में कहा है कि अनुभव सिर्फ एक अधिकारी को नहीं था बाकी सब इस घालमेल में अपने अनुभव का ही लाभ उठा रहे थे इसलिए इस मामले में कोरी चेतावनी नहीं बल्कि कार्रवाई की जाए।


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