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नेताजी का नाम सुनते ही मंगल सिंह की आंखों में आ जाती है चमक

हिदुस्तान के बारे में अभद्र टिप्पणी करने पर मंगल सिंह ने कर दी थी अंग्रेजी सेना के सिपाही की धुनाई

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 08:24 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 08:24 PM (IST)
नेताजी का नाम सुनते ही मंगल सिंह की आंखों में आ जाती है चमक
नेताजी का नाम सुनते ही मंगल सिंह की आंखों में आ जाती है चमक

संवाद सहयोगी, कोसली:

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कोसली गांव निवासी 102 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह की आंखों में आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही चमक आ जाती है। उनकी देशभक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार विदेशी सेना के एक सिपाही ने हिदुस्तान के बारे में अभद्र टिप्पणी कर दी थी तो बर्मा (म्यांमार) की सेंट्रल जेल में बंद आजादी के परवाने आजाद हिद फौज के सिपाही कोसली निवासी मंगल सिंह ने उसकी धुनाई कर दी थी। जेलर मौके पर पहुंचा तो माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन मंगल सिंह ने मना कर दिया। इस पर उनको एक सप्ताह भूखा रखा गया, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ।

20 वर्ष की आयु में हो गए थे सेना में भर्ती:

पिता छाजूराम व माता रामकौर के परिवार में तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े मंगल सिंह गांव में लोगों से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते थे। तभी से उन्होंने सेना में भर्ती होने का मन बना लिया था तथा 20 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हो गए थे। मंगल सिंह के अनुसार उस समय ब्रिटिश सेना में भर्ती होना आसान था। इसलिए नेताजी तक पहुंचने के लिए अगस्त 1940 में वह ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए। इसी दौरान अंग्रेजों की जापान के साथ लड़ाई हो गई। 1945 में उन्हें अन्य साथियों के साथ सिगापुर से बर्मा की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। जहां वह करीब छह माह जेल में बंद रहे तथा यातनाएं सही। इस दौरान उन्होंने अन्य कैदियों के साथ मिलकर बगावत कर दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनसे मिलने गए और सभी को जेल से आजाद कराया। जेल में ही नेताजी के साथ देश के लिए काम करने की इच्छा जताई। इसके बाद से नेताजी के साथ आजादी की जंग में शामिल हो गए। इस दौरान वह सिगापुर, मलेशिया, बर्मा, थाईलैंड, पाकिस्तान व चीन देशों में गए। देश की आजादी के बाद वर्ष 1948 में वह फिर सेना में भर्ती हो गए। करीब 25 साल तक देश की सेवा की, इस दौरान पाकिस्तान व चीन के साथ हुए युद्धों में भाग लिया। 1976 में सेना से सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने छह माह हरियाणा पुलिस में भी सेवा की। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल और बंसीलाल, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी व वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं।


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