यूपी चुनाव 2021: भाजपा को हराने के लिए 2 माह उत्तर प्रदेश में रहेंगे योगेंद्र यादव
UP Chunav 2021 योगेंद्र यादव संयुक्त किसान मोर्चा के राजनीति के मैदान में उतरने का विरोध तो करते हैं मगर मोर्चे से जुड़े लोग अपनी पार्टी बनाकर या किसी पार्टी में शामिल होकर या किसी अन्य तरीके से राजनीति करते हैं तो इन्हें एतराज नहीं है।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। संयुक्त किसान मोर्चा और जय किसान आंदोलन की बात हो तब किसान नेता और स्वराज इंडिया पार्टी की बात हो तो राजनेता। इन दोनों से जुड़े योगेंद्र यादव लंबे समय से दोहरी भूमिका में हैं। योगेंद्र यादव संयुक्त किसान मोर्चा के राजनीति के मैदान में उतरने का विरोध तो करते हैं, मगर मोर्चे से जुड़े लोग अपनी पार्टी बनाकर या किसी पार्टी में शामिल होकर या किसी अन्य तरीके से राजनीति करते हैं तो इन्हें एतराज नहीं है। अपनी बात बेबाकी से कहते हैं, मगर यह स्पष्ट करना नहीं भूलते कि यह उनके निजी विचार हैं, संयुक्त किसान मोर्चा के नहीं। बृहस्पतिवार को चौ. चरण सिंह की जयंती पर अपने गृह जिले में आयोजित किसान सम्मान समारोह में पहुंचे योगेंद्र ने दैनिक जागरण से विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश:
केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। एमएसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रखने का आश्वासन भी दे दिया। अब क्या करेंगे?
-किसान विरोधी योगी सरकार काे हराएंगे। चुनाव तक दो माह उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहूंगा।
सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही क्यों? पंजाब में नहीं जाएंगे?
- मैं इसलिए उत्तर प्रदेश में ही जाऊंगा, क्योंकि लखीमपुर प्रकरण वहीं से जुड़ा है। योगी सरकार सबसे बड़ी किसान विरोधी है। अजय मिश्रा अभी भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं।
फिर उत्तर प्रदेश में किसे जिताएंगे?
-इससे हमें कोई मतलब नहीं। हम बंगाल की तरह भाजपा का विरोध करेंगे।
योगेंद्र यादव दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। आप चाहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा चुनाव न लड़े। फिर क्या उप्र व पंजाब व दिल्ली नगर निगम में स्वराज इंडिया पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है?
-पंजाब और यूपी में स्वराज इंडिया विस का चुनाव नहीं लड़ेगी, मगर दिल्ली नगर निगम में भी चुनिंदा सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे। यह हमारे राजनीतिक निर्णय हैं। मेरा दृष्टिकोण स्पष्ट है कि चुनाव में कहीं भी संयुक्त किसान मोर्चा के नाम का इस्तेमाल न हो। किसी का पार्टी बनाना व राजनीति करना अलग विषय है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले चुनाव में उतरने का विरोध किस कारण से है?
-यहां विरोध की बात नहीं है। मोर्चा पूरे देश के किसान संगठनों का एक बड़ा मंच है। इसी मंच की ताकत से कृषि कानूनों की वापसी हुई है। एमएसपी की खरीद जारी रखने का आश्वासन मिला है। इससे हरियाणा के बाजरा व सरसों उत्पादक किसानों को भारी लाभ हुआ है, मगर कई अहम मुद्दे अभी बचे हुए हैं। विभिन्न राज्यों की किसानों की समस्याएं है। मोर्चा से जुड़े साथी समय और परिस्थितियों के अनुसार आगामी कार्ययोजना तय करेंगे। मोर्चे ने लोकतंत्र में फिर से लोगों की आस्था जगाने का काम किया है।