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विचित्र है टिड्डी सेना की दुनिया, इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान, पढ़ें पूरी खबर

भारत में मौजूद टिड्डी दलों का आगमन पिछले वर्ष जून में ही हो गया था लेकिन शुरुआती कुछ महीनों में बरती गई सुस्ती अब भारी पड़ रही है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 11:07 PM (IST)
विचित्र है टिड्डी सेना की दुनिया, इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान, पढ़ें पूरी खबर
विचित्र है टिड्डी सेना की दुनिया, इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान, पढ़ें पूरी खबर

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। Tiddi Attack: टिड्डी सेना की दुनिया बड़ी विचित्र है। यह छोटा सा जीव जितना पेटू है, उस पर सहसा यकीन नहीं होता। मगर हकीकत यही है। तीन से चार माह जीवित रहने वाली टिड्डियां रक्तबीज की तरह है। अगर खात्मा नहीं किया जाए तो छोटे से जीवनकाल में यह इतने अंडे देती है कि दल से भटकी थोड़ी सी टिड्डियां ही नई सेना खड़ी कर देती है। भारत में मौजूद टिड्डी दलों का आगमन पिछले वर्ष जून में ही हो गया था, लेकिन शुरुआती कुछ महीनों में बरती गई सुस्ती अब भारी पड़ रही है। हालांकि लोकोस्ट वार्निंग आर्गेनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) से जुड़े अधिकारी लापरवाही की बातों को गलत बता रहे हैं, मगर दबी जुबान से यह बात स्वीकारी जा रही है कि कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन ने टिड्डी सेना को बढऩे का मौका दिया।

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पीली रंगत आते ही बढ़ जाएगा खतरा

अफ्रीकी देशों से पाकिस्तान के रास्ते पहुंची अधिकांश टिड्डियां अभी प्रजनन क्षमता हासिल नहीं कर पाई हैं। प्रजनन क्षमता पैदा होते ही इनके शरीर पर पीली रंगत आ जाएगी। कृषि मंत्रालय का प्रयास इससे पहले ही टिड्डी सेना को खत्म करने का है। अभी टिड्डियां सीमित संख्या में प्रजनन कर रही है, इसलिए खेतों की चौकीदारी जरूरी है।

टिड्डी से जुड़ी विचित्र बातें:

  1. टिड्डी अपने वजन से दो गुना भोजन करती है।
  2. दांत इतने मजबूत होते हैं कि पूरा पेड़ शिकार बन सकता है।
  3. उड़ान की गति 15 से 20 किमी प्रति घंटा है। प्रतिदिन 150 से 200 किमी की दूरी तय करना आम है।
  4. टिड्डी दल शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच कहीं पर भी बैठ सकता है।
  5. एक टिड्डी अपने जीवनकाल में अपना वंश 20 गुना तक बढ़ा सकती है।
  6. एक वर्ग किमी में 4 से 8 करोड़ टिड्डियां होती है।
  7. रेगिस्तानी मादा टिड्डी 80 से 90 दिन की औसत उम्र में 80 से अधिक अंडे देती है।
  8. मादा टिड्डी मिट्टी में कोष्ठ बनाकर अंडे देती है। प्रत्येक कोष्ठ में 20 से 100 अंडे रखती है।
  9. वयस्क होने तक इनकी त्वचा का रंग चार से छह बार बदलता है।

इस तरह बढ़ा टिड्डियों का कुनबा

वर्ष 193 में हुए टिड्डी दल के हमले के बाद अधिकांश टिड्डियां सर्द मौसम में मर गई थीं। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। टिड्डी दल वर्ष 201 में ही भारत में आ गए थे। पिछले वर्ष पश्चिमी भारत में मानसून सामान्य से कई सप्ताह पहले शुरू हुआ और नवंबर तक सक्रिय रहा।

मानसून के वक्‍त होती है ज्‍यादा चिंता

टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में यह स्थिति चिंता पैदा करने वाली रही। मानसून लंबा होने के कारण टिड्डियों के लिए न केवल प्रचुर मात्रा में भोजन देने वाली वनस्पतियां बहुतायत में पैदा हुई वहीं प्रजनन की अनुकूल स्थिति मिल गई। खतरा अभी बरकरार है। विशेषज्ञ मान रहे हैं पाकिस्तान के रास्ते अभी नए दल भारत में प्रवेश कर सकते हैं। हरियाणा में टिड्डियों का इतना बड़ा हमला वर्ष 1993 के बाद पहली बार हुआ है। दक्षिण हरियाणा में कपास व बाजरे की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।

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