Ram Mandir In Ayodhya: विहिप नेता चंपतराय ने सुनाई राम मंदिर के इतिहास की संघर्ष गाथा
Ram Mandir In Ayodhya चंपतराय ने न केवल अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के इतिहास से जुड़े संघर्ष पर प्रकाश डाला बल्कि मंदिर के डिजाइन से लेकर भविष्य की योजनाओं तक हर विषय विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति और दुर्गावाहिनी की प्रदेश इकाई से जुड़े सभी पदाधिकारियों के साथ साझा किया।
नई दिल्ली/रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। इतिहास की अनूठी पाठशाला। प्रेरक शिक्षक। ज्ञानवर्धक विषय। रविवार को मातृशक्ति व दुर्गावाहिनी की हरियाणा इकाई की ओर से आयोजित कुटुंब प्रबोधन कार्यक्रम के आगाज का अहसास ऐसा ही था। दो दिवसीय कार्यक्रम वर्चुअल होने के कारण श्रोता व वक्ता दूर-दूर थे, मगर गुंजायमान हो रहा श्रीराम नाम का स्पंदन उन्हें परिवार की तरह बांधे हुए था। बतौर मुख्य वक्ता विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने उद्बोधन शुरू किया तो समय मानो ठहर गया। 'भगवान श्रीराम और हमारा आदर्श परिवार' विषय पर अपने संबोधन में उन्होंने कम शब्दों में ही निष्कर्ष सुनाते हुए कहा कि श्री राम चरित्र ही समस्त समस्याओं का समाधान है। श्रीराम आदर्श परिवार और राष्ट्रीय गौरव के आधार हैं।
संबोधन के तुरंत बाद चंपतराय ने दैनिक जागरण से भी संवाद किया। उन्होंने कहा कि परिवार तभी सुखी हो सकता है, जब राष्ट्र सुखी हो। राष्ट्र सुखी नहीं है तो कोई परिवार भी सुखी नहीं हो सकता। परिवारों में कहीं जमीन-जायदाद के झगड़े हैं तो कहीं किसी अन्य कारण से अशांति है। इस अशांति का समाधान भी केवल राम है। भगवान राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न में अयोध्या का राजपाट पाने की नहीं बल्कि छोड़ने की होड़ है। अगर मोह छोड़कर राम की तरह का त्याग अपनाया जाए तो आदर्श परिवार की परिकल्पना साकार होने में देर नहीं लगेगी।-
राम मंदिर के लिए किया 500 साल संघर्ष
अपने संबोधन में विहिप नेता चंपतराय ने न केवल अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के इतिहास से जुड़े संघर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला, बल्कि मंदिर के डिजाइन से लेकर भविष्य की योजनाओं तक हर विषय विश्व हिंदू परिषद, मातृशक्ति और दुर्गावाहिनी की प्रदेश इकाई से जुड़े सभी पदाधिकारियों के साथ साझा किया। उनका उद्बोधन सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।
राम मंदिर है राष्ट्र मंदिर
चंपतराय ने कहा कि राम मंदिर किसी व्यक्ति या समुदाय या संस्था का नहीं बल्कि राष्ट्र मंदिर है। यह ¨हदुस्तान के इतिहास का पुनर्निर्माण है। विदेशी आक्रमणकारियों ने अतीत में जो किया, उससे मुक्ति का प्रतीक है। लगभग 492 वर्षों के संघर्ष के बाद मंदिर निर्माण की परिस्थितियां पैदा हुई है। श्री राम मंदिर ¨हदुस्तान के गौरव की पुन: प्रतिष्ठा करेगा।
राम के साथ जानकी को समझें
श्रीराम के चरित्र को समझने के लिए केवल उनके राजा तक के कार्यकाल को नहीं देखना-समझना है। राम को समझना है तो बचपन से अंत तक समझना होगा। राम से अधिक जानकी का जीवन भी प्रेरक है। सीता ने अपने आदर्श से पिता के कुल की भी चिंता की और ससुर के कुल की भी। राम समाज में समरसता के प्रतीक थे। उन्होंने मल्लाह, जटायु व सबरी से उनकी जाति नहीं पूछी। मनुष्य के साथ मनुष्यता का व्यवहार किया। वर्चुअल कार्यक्रम में विहिप की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मीना भट्ट, मातृशक्ति की राष्ट्रीय संयोजक मीनाक्षी पिस्वे, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, विहिप के प्रदेशाध्यक्ष रमेश भाई, विहिप के संगठन मंत्री प्रेम शंकर व प्रांत मंत्री ऋषिपाल, मातृशक्ति की प्रदेश संयोजक अनीता मान, दुर्गावाहिनी की प्रदेश संयोजक डा. इंदु राव व श्रेयांश सहित कई प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए।