हरियाणा में यहां से मिल सकता है BJP को नया अध्यक्ष, जानिए दावेदारों के नाम
एक ओर मंत्रिमंडल के गठन की कवायद चल रही है तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) में प्रदेशाध्यक्ष बनने की कवायद भी तेज हो चुकी है।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में जीत के बाद एक ओर मंत्रिमंडल के गठन की कवायद चल रही है, तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) में प्रदेशाध्यक्ष बनने की कवायद भी तेज हो चुकी है। इस दौड़ में अहीरवाल के कई नेता भी शामिल हैं। गुरुग्राम, रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले के छह-सात वरिष्ठ नेता व भाजपा पदाधिकारी इस पद के लिए प्रयास कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कहीं टिकट से वंचित नेता दावा ठोंक रहे हैं तो कहीं चुनाव हारे चेहरों को अध्यक्ष जी बनकर गले में हार पहनने की तमन्ना है। कहीं जातीय समीकरणों का तर्क दिया जा रहा है, तो कहीं पर पार्टी के प्रति वर्षों की लंबी निष्ठा की दुहाई। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व गुरुग्राम जिलों की गिनती अहीरवाल में होती है। वर्ष 2014 के चुनाव में यहां की सभी 11 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा था। इस बार भी तीनों जिलों में 8 विस सीटें भाजपा ने जीती है। इसी आधार पर प्रदेशाध्यक्ष पद पर अहीरवाल के नेता अपना दावा जता रहे हैं।
देखें दावेदारों में कितना है दम
महेंद्रगढ़ जिले की महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव हारने वाले शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा वर्ष 2014 में पार्टी की कमान संभाल चुके हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि एक बार फिर से प्रो. शर्मा चुनाव की कमान संभाले। इसी क्रम में रेवाड़ी जिले में दो नेताओं की निगाहें अध्यक्ष की कुर्सी पर है। इनमें एक वीर कुमार यादव कोसली से हैं, जबकि दूसरे प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव रेवाड़ी से। दोनों पुराने कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में बताए जा रहे गुरुग्राम में रह रहे दो अन्य नेता भी मूल रूप से रेवाड़ी के निवासी हैं। इनमें एक है प्रदेश सचिव व पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव। कुछ पदाधिकारियों ने राव नरबीर सिंह के नाम का जिक्र भी शुरू कर दिया है। नरबीर समर्थक कह रहे हैं कि जिन लोगों ने उनके नेता के बारे में हाईकमान के सामने गलतफहमी पैदा की थी उनकी असलियत सामने आ चुकी है।
अपने-अपने तर्क दे रहे हैं समर्थक
कुर्सी हासिल करने के लिए यादव नेताओं के समर्थक पार्टी के सामने पिछड़ा वर्ग से किसी यादव को ही अध्यक्ष बनाने की पैरवी कर रहे हैं, जबकि एक वर्ग यह चाहता है कि सैनी समाज के किसी नेता को इस बार अध्यक्ष की कुर्सी दी जाए।
ऐसे नेताओं की ओर से अहीरवाल से बाहर नायब सैनी का नाम गंभीरता से आगे बढ़ाया जा रहा है। दूसरी ओर जाट समुदाय की दावेदारी किसी तरह कमजोर नहीं हुई है। मुख्यमंत्री पंजाबी वर्ग से होने के बाद किसी जाट नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की बात भी तर्क संगत कही जा रही है। कुछ जहां हारे हुए दिग्गजों में से किसी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की पैरवी कर रहे हैं तो कुछ चुनाव जीते नए चेहरों को चौधर देने की पैरवी कर रहे हैं। पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
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