देश में सामने आया अजब मामला, आदमी की तरह निकाली गई एक गाय की अंतिम यात्रा
गांव रोझूवास के उच्च शिक्षित किसान सभाचंद की गाय ने अंतिम सांस ली तो पूरे परिवार के ही नहीं बल्कि गांव के कई लोगों की आंखों में आंसू थे।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। दिल्ली से हरियाणा के रेवाड़ी में गोमाता के प्रति आस्था का अनूठा उदाहरण देखने यहां के गांव रोझूवास में देखने को मिला। दरअसल, यहां पर एक गाय की शव यात्रा आदमी की तरह ही निकाली गई उसका फिर विधिवत अंतिम संस्कार भी किया गया। वह भी हिंदू धर्म के अनुसार।
सभासद ने लिया साहसिक फैसला
गांव रोझूवास के उच्च शिक्षित किसान सभाचंद की गाय ने अंतिम सांस ली तो पूरे परिवार के ही नहीं, बल्कि गांव के कई लोगों की आंखों में आंसू थे। गाय को ग्रामीणों ने मिलकर गाजे-बाजे के साथ अंतिम विदाई दी। सभाचंद के शब्दों में, जिस तरह हमने पहले अपनी मां को अंतिम विदाई दी थी, उसी तरह हमने गोमाता को अंतिम विदाई देने का संकल्प लिया हुआ था, क्योंकि गाय हमारे लिए मां की तरह थी। पिता स्व. श्री भगवान नंबरदार ने इसकी मां की तरह ही सेवा करने का संकल्प दिलाया था। आमतौर पर दूध देना बंद करने के बाद गाय को छोड़ दिया जाता है या बेच दिया जाता है, परंतु सभाचंद ने ऐसा नहीं किया।
8 साल से गाय नहीं दे रही थी दूध
पिता के संकल्प के अनुसार इन्होंने भी इस गाय को देई (जिस गाय को देई या देवी मान लिया जाता है उसे बेचा नहीं जाता) मान लिया था। गाय आठ वर्ष से दूध नहीं दे रही थी। उम्र पूरी होने के कारण सोमवार को अंतिम सांस ली थी। सभाचंद चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। घर में गाय रखने का शौक पिता के समय से ही है। पिता श्रीभगवान सिंह नंबरदार ने ही घर में गाय रखना शुरू कर दिया था।
पिता के दिए संस्कार ने किया प्रेरित
लगभग 40 एकड़ के किसान श्री भगवान ने बेटों को भी गोपालन के संस्कार दिए। यह पिता के संस्कारों का ही परिणाम है, जिसके चलते एमए, बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती-किसानी से जुड़े सभाचंद ने भी गाय को भी अपनी मां मान लिया।
अंतिम संस्कार में उमड़ा गांव
गाय की अंतिम विदाई में गांव उमड़ पड़ा। महिलाओं में चुनरी चढ़ाने की होड़ रही। वहां मौजूद लोग यह कहते सुने गए कि यदि सभी सभाचंद की तरह संकल्प लें तो गोशाला की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सड़कों से लावारिस गायें भी एक ही दिन में हट जाएंगी।