हरियाणा में मंत्री बनने के बाद भी लोग क्यों बुला रहे हैं 'एडीओ साहब'
राजनीति में आने से पहले ओमप्रकाश यादव कृषि विभाग में एडीओ थे। सेवानिवृत्त होने से पहले ही राव इंद्रजीत की टीम में उनका एडीओ साहब के रूप में नाम चर्चित हो चुका था।
नारनौल [महेश कुमार वैद्य]। समय-8 बजे सुबह। दिन-रविवार। स्थान-सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव का खड़खड़ी मोहल्ला स्थित आवास। कृष्णा टावर नाम के इस आवास पर आज अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही चहल-पहल है। किसी के हाथ में गुलदस्ता है तो किसी के हाथ में मिठाई। घर के आंगन में समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद है। कहीं से आवाज आ रही है-एडीओ साहब, एक बार मेरी सुनना। दूसरी ओर से कोई आवाज दे रहा है-एडीओ साहब बस दो मिनट...। एडीओ साहब जरा एक बार इधर...। मतलब हर किसी की जुबान पर एडीओ साहब। शायद ही किसी की जुबान पर मंत्री जी या उनका नाम आया हो। समर्थकों के लिए तो एडीओ साहब का संबोधन मंत्री जी से बड़ा है।
राजनीति में आने से पहले ओमप्रकाश यादव कृषि विभाग में एडीओ (एग्रीकल्चर डेवलेपमेंट ऑफिसर) थे। अधिकारी रहते हुए ही वह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के मुरीद थे। सेवानिवृत्त होने से पहले ही राव इंद्रजीत की टीम में उनका एडीओ साहब के रूप में नाम चर्चित हो चुका था। विधायक बनने के बाद भी उनका यही नाम चर्चित रहा। पहले विधायक और अब मंत्री बनने के बाद भी समर्थकों के संबोधन का अंदाज नहीं बदला। ठेठ देहात के कुछ बुजुर्ग समर्थक तो यहां तक कहते हैं कि ‘भाई म्हारो तो एडीयो साब मंत्री तै भी बड़ौ है।’ यहां वह चुटकला भी अक्सर सुना दिया जाता है, जिसमें एक बुजुर्ग महिला एक आइएएस अधिकारी को पटवारी बनने का आशीर्वाद देती है।
नौ बज गए अब तो नहा लेने दो
ओमप्रकाश शनिवार को मंत्री बनने के बाद अपने आवास पर पहुंचे थे। अभिनंदन करने के लिए समधी जी से लेकर तमाम रिश्तेदार भी घर पहुंचे हुए हैं। घर से कोई 100 कदम दूर टीवी टावर रोड पर स्थित उनके कार्यालय पर भी भारी भीड़ मौजूद है। कुछ उनके कार्यालय आने का इंतजार कर रहे थे तो कुछ इंतजार करने की बजाय सीधे उनके घर पहुंच रहे थे। एडीओ साहब भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे। जब सूई 9 से ऊपर पहुंची तो रिश्तेदार भीड़ से आग्रह करने लगे-नौ बज लिए। बस एक बार नहा तो लेने दो।