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जानिये- ढोसी के पहाड़ के बारे में, जहां खुद प्रकृति ने बनाई हाथी जैसे जानवरों की मूर्तियां

ढोसी के पहाड़ से थाना गांव की ओर के रास्ते को थोड़ा सा ध्यान से देखा जाए तो यहां की शिलाओं की आकृतियां बड़े बड़े जानवरों के चेहरे से मिलती जुलती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 12:56 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 01:40 PM (IST)
जानिये- ढोसी के पहाड़ के बारे में, जहां खुद प्रकृति ने बनाई हाथी जैसे जानवरों की मूर्तियां
जानिये- ढोसी के पहाड़ के बारे में, जहां खुद प्रकृति ने बनाई हाथी जैसे जानवरों की मूर्तियां

नारनौल [बलवान शर्मा]। कहते हैं कि प्रकृति से बड़ा कलाकार कोई नहीं है। कुदरत द्वारा बनाई गई तस्वीर(मूर्ति) का मुकाबला कोई कलाकार कैसे कर सकता है। महर्षि च्यवन के मंदिर के दर्शन करने तो हजारों लोग आते हैं, लेकिन कुदरत की इस कला की ओर शायद ही किसी का ध्यान गया हो।नारनौल से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित ढोसी के पहाड़ से थाना गांव की ओर के रास्ते को थोड़ा सा ध्यान से देखा जाए तो यहां की शिलाओं की आकृतियां बड़े बड़े जानवरों के चेहरे से मिलती जुलती हैं। कोई मानव के मुंह के कंकाल जैसा है तो कोई हाथी जैसा।दैनिक जागरण के कैमरे में कैद हुई तस्वीरें खुद बोलती हैं।

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ढोसी का पहाड़ पूरे विश्व में महर्षि च्यवन के नाम से मशहूर है। इस पहाड़ पर तपस्या कर ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश नामक औषधि बनाई थी। इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत में भी मिलता है। दूर-दराज से श्रद्धालु व पर्यटक यहां पर हजारों की संख्या में हर वर्ष आते हैं। पहाड़ पर चढ़ने के लिए चार रास्ते हैं। हालांकि ढोसी गांव की ओर से बना रास्ता भले ही लंबा है पर आसान है। शेष रास्तों की चढ़ाई खड़ी होने की वजह से आवागमन इस रास्ते की तुलना में कम होता है। थाना गांव की ओर बना रास्ता मुंह बोलती मूर्तियों का आज भी गवाह बना हुआ है।ये मुंह बोलती आकृतियां सहज ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।

इस पहाड़ के चारों ओर इस तरह की शिलाएं दिखाई दे रही हैं। चार रास्तों वाले इस पहाड़ पर किसी जमाने में राजा नूनकरण व उनके बाद के राजाओं ने यहां पर किला भी बनाया हुआ है। हालांकि किले की दीवारों की वर्तमान में दशा बिगड़ी हुई है और केवल दो दरवाजे ही शेष बचे हैं। अभी तक इस ओर न तो प्रशासन और न ही पुरातत्व विभाग की नजरें हैं। यदि पुरातत्व विभाग इस ओर ध्यान दे तो न केवल यह प्राचीन धरोहर सुरक्षित रहेगी, बल्कि टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकता है। इसके लिए इस क्षेत्र के राजनेताओं को भी इच्छा शक्ति दिखानी होगी, तभी जाकर इस एरिया का कुछ भला हो सकता है। क्योंकि टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा तो क्षेत्रवासियों की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही, साथ ही राज्य सरकार को भी राजस्व के रूप में बड़ा फायदा मिल सकता है।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस पहाड़ी से महज कुछ मीटर दूर से ही राजस्थान की सीमा भी लगती है। हरियाणा व राजस्थान दोनों राज्यों के धार्मिक सोच वाले लोग तो आएंगे ही, साथ ही देश व विदेश के पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र बन सकता है। देखने वाली बात यह होगी कि सरकार व प्रशासन इस ओर कितनी गंभीरता दिखाता है।

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