पुरानी वार्डबंदी से ही होंगे नगर परिषद चुनाव
उच्च न्यायालय ने नगर परिषद के चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराने के आदेश दे दिए हैं। बुधवार को लगातार दूसरे दिन बहस सुनने के बाद न्यायधीश एबी चौधरी व न्यायधीश हर¨मदर ¨सह मदान ने पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने के आदेश जारी कर दिए हैं। उच्च न्यायालय का यह निर्णय सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली को आइना दिखाने वाला है, क्योंकि पूरा सिस्टम मिलकर भी नई वार्डबंदी से चुनाव के काम को सिरे नहीं चढ़ा पाया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : उच्च न्यायालय ने नगर परिषद के चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराने के आदेश दे दिए हैं। बुधवार को लगातार दूसरे दिन बहस सुनने के बाद न्यायधीश एबी चौधरी व न्यायधीश हर¨मदर ¨सह मदान ने पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने के आदेश जारी कर दिए हैं। उच्च न्यायालय का यह निर्णय सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली को आइना दिखाने वाला है, क्योंकि पूरा सिस्टम मिलकर भी नई वार्डबंदी से चुनाव के काम को सिरे नहीं चढ़ा पाया। 10 अगस्त को डाली गई थी याचिका
नगर परिषद के चुनाव लंबे समय से नई व पुरानी वार्डबंदी के फेर में अटके हुए हैं। 19 मार्च को नप के हाउस का कार्यकाल पूरा हो चुका है। छह माह से भी अधिक का समय बीत चुका है। सरकार नई वार्डबंदी से चुनाव तो कराना चाहती है लेकिन इसके लिए प्रक्रिया काफी देरी से शुरू की गई। वहीं पूर्व पार्षद दलीप माटा, संजय मलिक, हरीश अरोड़ा व मोनू राव एडवोकेट की तरफ से हाइकोर्ट में केस डालकर पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने की मांग की गई थी। 10 अगस्त को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया। उच्च न्यायालय ने याचिका को पहले निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया था तथा स्पष्ट कर दिया था कि वहां से अगर बात न बने तो दोबारा हाइकोर्ट आ सकते हैं। निर्वाचन आयोग ने मामले पर सुनवाई करते हुए निर्णय दिया था कि पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव संभव है। निर्वाचन आयोग ने इस बाबत प्रदेश सरकार को पत्र भेजा था। दोबारा खटखटाया था उच्च न्यायालय का दरवाजा
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय दिए जाने के बावजूद सरकार व प्रशासनिक अधिकारी नई वार्डबंदी से ही चुनाव कराने पर अड़े रहे। हालांकि नई वार्डबंदी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को लेकर प्रशासनिक अधिकारी ज्यादा कुछ काम नहीं कर पाए। इधर उच्च न्यायालय ने 20 नवंबर को सरकार को आदेश दिए थे कि वे हलफानामा दायर करके बताएं कि नई वार्डबंदी को लेकर उनकी प्रक्रिया कहां तक पहुंची है। सरकार को 27 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 30 नवंबर को सुनवाई के दौरान सरकार व प्रशासन को हलफनामा दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया गया तथा 4 दिसंबर की तारीख दी गई थी। 4 दिसंबर को भी हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तथा कोर्ट में बहस शुरू हुई। कोर्ट ने कहा: पुरानी वार्डबंदी से कराए चुनाव
न्यायधीश एबी चौधरी व न्यायधीश हर¨मदर ¨सह मदान दोनों के समक्ष सरकारी अधिवक्ता ने नई वार्डबंदी को लेकर तथा पूर्व पार्षदों के अधिवक्ता ने पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने को लेकर अपने-अपने तर्क रखे। करीब एक घंटे तक दोनों तरफ से तर्क दिए गए। दोनों न्यायधीशों ने सुनवाई पूरी करते हुए आदेश दिए हैं कि नगर परिषद के चुनाव पुरानी वार्डबंदी से ही कराए जाए। पूर्व पार्षदों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मुकेश वर्मा ने बताया कि कोर्ट ने अपने निर्णय में पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव के आदेश दिए हैं।
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यह लोकतंत्र की जीत हुई है। न्यायालय ने पुरानी वार्डबंदी से ही चुनाव कराने के लिए आदेश दिए हैं। अब उम्मीद है कि सरकार शीघ्रता से इसे सिरे चढ़ाते हुए चुनाव का रास्ता साफ करेगी।
-दलीप माटा, याचिकाकर्ता
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अभी मुझे उच्च न्यायालय के निर्णय की जानकारी नहीं मिली है। जो भी आदेश आए हैं उनको लेकर आगामी कार्रवाई सरकार के स्तर पर ही होनी है।
-मनोज यादव, ईओ नप।