Move to Jagran APP

बिना यूजीसी मान्यता के चल रहे कई कॉलेज

जिला के कई कॉलेज आज भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से बिना मान्यता के चल रहे हैं। बहुत से कॉलेजों ने मान्यता लेने में दिलचस्पी तक नहीं दिखाई। कॉलेजों को उच्चतर शिक्षा निदेशालय के अलावा संबंधित विश्वविद्यालय के माध्यम से यूजीसी में मान्यता के लिए आवेदन करना होता है लेकिन पिछले आठ दस साल से किसी ने आवेदन ही नहीं किया। जिला कॉलेज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से संबद्ध थे। 2017 में मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय से रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों के कॉलेज संबद्ध हुए। पहले एमडीयू ने रुचि नहीं दिखाई अब आइजीयू से जुड़ने के बाद भी कॉलेजों की ओर से आवेदन नहीं हो पाई। यूजीसी से मान्यता नहीं लेने पर कॉलेजों को केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजों को मिलने वाली विकास राशि नहीं मिल पाती। अहीर पीजी कॉलेज को छोड़कर कोई भी कॉलेज ऐसा नहीं है जिसे पिछले चार पांच साल में यूजीसी की ओर से कोई ग्रांट मिली हो। अहीर कॉलेज को पिछले साल पुस्तकालय में किताब और प्रयोगशाला के सामान खरीदने के लिए

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 06:38 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 06:38 PM (IST)
बिना यूजीसी मान्यता के चल रहे कई कॉलेज
बिना यूजीसी मान्यता के चल रहे कई कॉलेज

ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी

loksabha election banner

जिला के कई कॉलेज आज भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से बिना मान्यता के चल रहे हैं। इन कॉलेजों ने मान्यता लेने में दिलचस्पी तक नहीं दिखाई। कॉलेजों को उच्चतर शिक्षा निदेशालय के अलावा संबंधित विश्वविद्यालय के माध्यम से यूजीसी में मान्यता के लिए आवेदन करना होता है लेकिन पिछले करीब दस साल से किसी भी कॉलेज प्रबंधन ने आवेदन ही नहीं किया। जिला कॉलेज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से संबद्ध थे। 2017 में मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय से रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलों के कॉलेजों को संबद्ध किया गया। पहले एमडीयू ने रुचि नहीं दिखाई अब आइजीयू से जुड़ने के बाद भी कॉलेजों की ओर से आवेदन नहीं किया गया है। यूजीसी से मान्यता नहीं लेने पर कॉलेजों को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली विकास राशि नहीं मिल पाती है। अहीर पीजी कॉलेज को छोड़कर कोई भी कॉलेज ऐसा नहीं है जिसे पिछले चार पांच साल में यूजीसी की ओर से कोई ग्रांट मिली हो। अहीर कॉलेज को पिछले साल पुस्तकालय में किताब और प्रयोगशाला के सामान खरीदने के लिए 8 लाख रुपये मिले थे। इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) मीरपुर को भी पिछले साल ही यूजीसी एक्ट 1956 के सेक्शन 12(बी) की मान्यता मिली है। सेक्शन 2(एफ) और सेक्शन 12(बी)

यूजीसी एक्ट 1956 के सेक्शन 2(एफ) के तहत विश्वविद्यालय या कॉलेजों को यूजीसी में मान्यता के लिए आवेदन करना होता है। विश्वविद्यालय या कॉलेजों को केंद्र से वित्तीय अनुदान लेना है तो इसके लिए यूजीसी एक्ट 1956 के सेक्शन 2(एफ) के तहत मान्यता प्राप्त करना होता है। इसके बाद कॉलेजों की व्यवस्थाओं के आधार पर 12(बी) के लिए आवेदन करना होता है। यूजीसी से 12बी की मान्यता मिलने के बाद डीम्ड कॉलेजों की श्रेणी में आने के साथ समय समय पर बजट जारी होता है। इसके लिए अब सभी कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा निरीक्षण कराना जरूरी है। हर पांच साल में नैक की टीम कॉलेजों का निरीक्षण करती है। नैक की रिपोर्ट के आधार पर मान्यता और ग्रांट निर्भर है। राजकीय महिला महाविद्यालय की भी नहीं मान्यता:

जिला मुख्यालय स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय स्थापित होने के दस साल बाद भी यूजीसी से मान्यता प्राप्त नहीं है। वर्तमान में यहां 34 सौ से अधिक छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। इस कॉलेज को राज्य सरकार से मिलने वाली ग्रांट के आधार पर विकास कार्य हो रहे हैं। इसी प्रकार की स्थिति कोसली, पाली, गुरावड़ा, खरखड़ा के राजकीय कॉलेजों के साथ काफी संख्या में सेल्फ फाइनेंस कॉलेज शामिल हैं।

----------------------

अभी कुछ दिन पूर्व ही कॉलेज की फाइल बनाकर विश्वविद्यालय के माध्यम से यूजीसी को 2 एफ और 12बी के लिए भिजवाया गया है। इसके लिए कॉलेज की ओर से नोडल अधिकारी भी बनाया हुआ है जो समय समय पर इसकी प्रगति रिपोर्ट का जायजा लेते रहेंगे। नए सत्र में कॉलेज को यूजीसी से मान्यता मिलने की उम्मीद है।

- डॉ. हरि ¨सह यादव, ¨प्रसिपल, राजकीय महिला महाविद्यालय

----------------------

जिला के बहुत से ऐसे कॉलेज हैं जिनका विश्वविद्यालय से ही निरीक्षण नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय के माध्यम से ही यूजीसी को मान्यता के लिए फाइल भेजनी होती है। इस बारे में जल्द सभी कॉलेज मुखियाओं को यूजीसी से संबंधित लंबित मामलों की रिपोर्ट ली जाएगी। नया सत्र आरंभ होने से पहले सभी कॉलेज मुखियाओं से बैठक कर बातचीत की जाएगी।

- डॉ. मारकंडे आहूजा, कुलपति, आइजीयू


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.