सुबह कोहरा तो दिन में निकली धूप
बृहस्पतिवार को अन्य दिनों की अपेक्षा मौसम में काफी बदलाव आया। सुबह की शुरुआत घने कोहरे के साथ हुई तथा दिन चढ़ने के साथ मौसम साफ होता गया और शाम तक धूप खिली रही हालांकि हल्की हवा चलने से धूप में तपिश कम थी।
जागरण संवादाता, रेवाड़ी: बृहस्पतिवार को अन्य दिनों की अपेक्षा मौसम में काफी बदलाव आया। सुबह की शुरुआत घने कोहरे के साथ हुई तथा दिन चढ़ने के साथ मौसम साफ होता गया और शाम तक धूप खिली रही हालांकि हल्की हवा चलने से धूप में तपिश कम थी। अन्य दिनों की तुलना में बृहस्पतिवार को ठिठुरन से थोड़ी राहत मिली। बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 16.5 तथा न्यूनतम 7.5 डिग्री सेल्सियस रहा। बुधवार को अधिकतम 17 और न्यूनतम 3.5 डिग्री सेल्सियस था। बृहस्पतिवार को घने कोहरे के चलते दृश्यता बेहद कम रही। सुबह नौ बजे तक भी चालक हेडलाइट जलाकर वाहन चला रहे थे। कम दृश्यता के चलते वाहनों की रफ्तार भी कम रही। करीब 11 बजे से मौसम साफ होना आरंभ हुआ। शाम तक धूप निकली। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से हवा में बदलाव उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व व पूर्वी हो जाने से ज्यादातर क्षेत्रों में 21 जनवरी रात और 22 जनवरी को हवा चलने और गरज चमक के साथ कहीं कहीं आंशिक बादलवाई होने के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है।
विशेषज्ञों की सलाह से करें फसलों का उपचार: इस वर्ष इस क्षेत्र में सरसों का रकबा बढ़ा है। अब तक सरसों की फसल भी अच्छी है, लेकिन एक सप्ताह से बादल छाने और कोहरे की वजह से सरसों फसल में सफेद रोली का प्रकोप शुरू हो गया है। किसानों को अपने खेत का भ्रमण कर निरीक्षण करते रहना चाहिए। चौधरी चरण सिंह क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा. धर्मबीर यादव ने बताया कि 21 और 22 जनवरी को हल्की बारिश की संभावना है। इसलिए मौसम में नमी बढ़ने और फसलों में बीमारियों का उपचार कृषि विशेषज्ञों की सलाह से ही करना चाहिए। पादप रोग विशेषज्ञ डा. नरेश कुमार यादव ने बताया कि यदि पत्तों के निचली सतह पर सफेद फफोले दिखाई देते हैं तो यह सफेद रोली के लक्षण हैं। अधिक पास पैदा होने पर यह फफोले मिलकर बड़े धब्बों का रूप धारण कर लेते हैं। इस रोग का आक्रमण फूलों पर भी होता है, जिससे फूलों वाला भाग टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है। यदि छोटी अवस्था में यह रोग हो जाये तो फलियां नहीं लगती और पूरा पौधा बौना रह जाता है। पछेती फसल में यह रोग अधिक लगता है। यदि इस प्रकार के लक्षण खेत में सरसों की फसल पर दिखाई दे तो मैन्कोजेब (डाइथेन एम.-45) 500 ग्राम प्रति एकड़ पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। किसान चौधरी चरण सिंह क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र बावल में बीमार पौधे के नमूने लाकर विज्ञानियों की सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा 02184 297200, 8901279165 पर भी फोन कर सलाह प्राप्त कर सकते हैं।