1600 परिवारों की आपसी कलह सुलझाएगा पारिवारिक न्यायालय
-पारिवारिक झगड़ों के लिए न्यायिक परिसर में शुरू किया गया पारिवारिक न्यायालय, न्यायालय में भेजे गए परिवारों के बीच आपसी विवाद के 1600 मामले -अब अलग-अलग कोर्ट में नहीं चलेंगे पारिवारिक झगड़ों के मुकदमें जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: खुद संभलने की और अपना घर संभालने की अब जरूरत है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिलाभर में इस समय 1600 परिवार ऐसे हैं जिनकी आपसी कलह उन्हें अदालत की दहलीज तक ले आई है। आलम यह हो गया है कि अब पति-पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच होने वाले आपसी झगड़ों को निपटाने के लिए जिला न्यायिक परिसर में पारिवारिक न्यायालय का गठन किया गया है। परिवारों के बीच चल रहे आपसी विवादों को निपटाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से गठित किए गए इस न्यायालय ने अपना काम शुरू कर दिया है तथा जिला न्यायिक परिसर स्थित अलग-अलग कोर्ट में चल रहे 1600 मुकदमों को इसमें ट्रांसफर किया गया है। इस पारिवारिक न्यायालय के प्रथम न्
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी:
खुद संभलने की और अपना घर संभालने की अब जरूरत है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि जिलाभर में इस समय 1600 परिवार ऐसे हैं, जिनकी आपसी कलह उन्हें अदालत की दहलीज तक ले आई है। आलम यह हो गया है कि अब पति-पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच होने वाले आपसी झगड़ों को निपटाने के लिए जिला न्यायिक परिसर में पारिवारिक न्यायालय का गठन किया गया है।
परिवारों के बीच चल रहे आपसी विवादों को निपटाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से गठित किए गए इस न्यायालय में जिला न्यायिक परिसर स्थित अलग-अलग कोर्ट में चल रहे 1600 मुकदमों को इसमें ट्रांसफर किया गया है। इस पारिवारिक न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश नरेश कुमार ने भी कार्यभार संभाल लिया है।
आपसी विवाद के सभी मामले होंगे एक जगह
पारिवारिक न्यायालय में अब पति पत्नी के बीच विवाद के सभी तरह के मामले एक ही जगह सुने जा सकेंगे। दोनों पक्षकारों को पहले अलग-अलग कोर्ट में अलग-अलग दावों के लिए चक्कर लगाने पड़ते थे। यहां बता दें कि पारिवारिक जीवन में आई खटास के बाद वधू पक्ष की ओर से सामान्यता पांच से छह तक मामले अलग-अलग कोर्ट में डाले जाते हैं जबकि वर पक्ष की ओर से बच्चों की कस्टडी, तलाक, साथ रखने के केस दर्ज किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में दो पक्षकारों के बीच में केसों की संख्या बढ़ जाती है, जिसे ध्यान में रखते हुए अब दोनों पक्षकारों के मामले एक ही कोर्ट में सुनवाई के लिए एक ही दिन पर मुकर्रर किए जा सकेंगे। इससे जहां परेशानी कम होगी वहीं केस का निपटारा भी शीघ्र हो सकेगा।
पारिवारिक न्यायालय में इन मामलों का होगा निपटारा
जिले में कोसली, रेवाड़ी व बावल के न्यायालय में विचाराधीन वे सभी मामले जो धारा 125 सीआरपीसी, ¨हदू विवाह अधिनियम की सभी धाराओं व गार्जियनशिप एक्ट की सभी धाराओं के मामले इस पारिवारिक न्यायालय में सुने जाएंगे। गुजारा भत्ता के लिए दायर की गई 125 सीआरपीसी की धारा के तहत सभी प्रकार के मामले। ¨हदू विवाह अधिनियम के तहत दांपत्य जीवन पुनस्र्थापना एवं विवाह विच्छेद के सभी मामले। दांपत्य जीवन के झगड़े में बच्चों की अभिरक्षा के लिए दायर किए गए सभी मामले। आपसी सहमति से तलाक लेने के केसों का निपटारा भी परिवारिक न्यायालय में हो सकेगा। गुजारा भत्ता ना दिए जाने के बाद इजरा कार्रवाई के दौरान सुनवाई के सभी मामले पारिवारिक न्यायालय द्वारा ही सुने जाएंगे।