स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना होगा: अजय सिन्हा
स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के मद्देनजर शहर को स्वच्छ बनाने के लिए मंगलवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के मद्देनजर शहर को स्वच्छ बनाने के लिए मंगलवार को माडल टाउन स्थित बाल भवन में ठोस कचरा प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में फीडबैक फाउंडेशन के सीईओ अजय सिन्हा ने कहा कि कचरा प्रबंधन को जन आंदोलन का रूप देना होगा। प्रत्येक घरों से कचरा उठाने का समय सुनिश्चित करना होगा। इसके साथ ही नियमित रूप से कूड़े का उठान किया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि गीले कचरे में वह कचरा आता है, जिसमें 70 फीसद तक पानी होता है और जिसे पशु आदि खा सकें। यह बचा हुआ भोजन या उसके अवशेष होते हैं। सूखे कचरे में प्लास्टिक, पेपर, शीशा या मेटल शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि रेवाड़ी में प्रतिदिन 80 टन कूड़ा निकलता है। जब तक यह नहीं समझेंगे कि मेरा कूड़ा मेरी जिम्मेदारी है, तब तक इससे निजात मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि रेवाड़ी नगर परिषद घरों में ही गीले कचरे से खाद बनाने को बढ़ावा दें। उन्होंने लोगों को अपने घर के किसी कोने में गड्ढा खोदकर इसमें गीला कचरा डालने के लिए प्रेरित करें। इस गीले कचरे को गड्ढे में डालकर दो सप्ताह के लिए छोड़ दिया जाए तो खाद बनकर तैयार हो जाएगी। इस खाद को आप अपने गार्डन व खेतों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इन बिदुओं पर देना होगा ध्यान अजय सिन्हा ने कहा कि हमें सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से घर-घर जाकर लोगों को कचरे की छंटनी के बारे में समझाना है। कचरा उठाने वाले वाहनों के चार भाग करवाने होंगे। मिक्स कचरा उठान पर रोक लगानी होगी।
डीसी यशेंद्र सिंह ने कहा कि साफ-सफाई जीवन में चलने वाली निरंतर प्रक्रिया है। एसडीएम व नगरपरिषद के प्रशासक रविद्र यादव ने कहा कि शहर की स्वच्छता में रैंकिग सुधारना शहरवासियों के हाथ में है। कार्यशाला में रेवाड़ी, बावल व धारूहेड़ा के पार्षदों, नगरपरिषद व नगरपालिकाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा डीएसपी राजेश लोहान, सीएमजीजीए डा. मृदुला सूद, नप एमई अजय सिक्का, जेई सुनील कुमार, पूर्व चेयरमैन विजय राव, गुरदयाल नंबरदार, प्रदीप भार्गव, रिपुदमन गुप्ता आदि ने भाग लिया।
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इनसेट:
2 लाख हुई आबादी , कर्मचारी 370 कार्यशाला में सफाई कर्मचारियों ने कहा कि शहर की आबादी वर्तमान में 2 लाख हो चुकी है लेकिन सफाई कर्मचारी महज 370 ही हैं। सालों से इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया गया है। संसाधनों का भी पूरी तरह से अभाव है। जब तक संसाधन और सफाई कर्मचारी नहीं बढ़ेंगे तब तक सफाई व्यवस्था बेहतर होना संभव नहीं है।