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दृष्टिबाधित क्रिकेटरों के लिए अभी लंबी लड़ाई की जरूरत

-ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन के उत्तर क्षेत्रीय सचिव शैलेंद्र यादव लंबे समय से ²ष्टिबाधित खिलाड़ियों के लिए समान अधिकारों की लड़ रहे हैं लड़ाई अमित सैनी, रेवाड़ी: ²ष्टिबाधित लोगों को मैदान तक लेकर जाना और देश के लिए ब्लाइंड क्रिकेटरों की एक पूरी टीम को खड़ी करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन इन लोगों के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले लोगों के सहयोग से यह हुआ और आज भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम चैंपियन के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी है। भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान देने वाले क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के उत्तर क्षेत्रीय सचिव व जिला के गांव धवाना निवासी शैलेंद्र यादव का कहना है कि अभी लड़ाई और

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 07:59 PM (IST)
दृष्टिबाधित क्रिकेटरों के लिए अभी लंबी लड़ाई की जरूरत

अमित सैनी, रेवाड़ी:

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दृष्टिबाधित लोगों को मैदान तक लेकर जाना और देश के लिए ब्लाइंड क्रिकेटरों की एक पूरी टीम खड़ी करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन इन लोगों के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले लोगों के सहयोग से यह हुआ और आज भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम चैंपियन के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी है। भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान देने वाले क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के उत्तर क्षेत्रीय सचिव व जिला के गांव धवाना निवासी शैलेंद्र यादव का कहना है कि अभी लड़ाई और भी लंबी लड़नी हैं।

दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में शैलेंद्र यादव बताते हैं दृष्टिबाधित खिलाड़ियों को सामान्य खिलाड़ियों की भांति ही समान अधिकार देने की जो लड़ाई वे लड़ रहे हैं उसमें पहली बड़ी सफलता हरियाणा सरकार के माध्यम से मिली है। भारतीय दृष्टिबाधित टीम के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ऑलराउंडर दीपक मलिक को हरियाणा सरकार ने नौकरी दी। अब अन्य राज्यों में भी इसी तरह की लड़ाई लड़ी जाएगी ताकि वहां के खिलाड़ियों को भी नौकरी में हिस्सा मिले।

शैलेंद्र यादव खुद भी दृष्टिबाधित हैं और वर्तमान में एसबीआइ में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है। शैलेंद्र का कहना है कि बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। देख नहीं पाता था इसलिए रेडियो व टीवी पर मैच की कमेंटरी सुनते थे। खुद क्रिकेटर नहीं बन पाए इसलिए अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए क्रिकेट की टीम खड़ी करने में अथक सहयोग किया। शैलेंद्र बताते हैं कि 1990 में भारतीय ब्लाइंड टीम बनी थी लेकिन सहयोग नहीं मिलने के कारण वर्ष 2006 में यह टीम खत्म हो गई। 2010 में ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन को दोबारा से खड़ा किया अैर भारतीय टीम को भी दोबारा बनाया गया जिसने एक के बाद एक कई मुकाम हासिल कर लिए हैं। वर्ष 2014 में दक्षिण अफ्रीका के केपटॉउन में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हराकर व‌र्ल्ड कप जीता था। इसके बाद 2016 में एशिया कप और 2017 में टी-20 व‌र्ल्ड कप पर भी कब्जा जमाया। 2018 के व‌र्ल्ड कप में भी भारतीय टीम ही विश्व विजेता रही थी।

अब खड़ी कर रहे ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम

शैलेंद्र बताते हैं अब दृष्टिबाधित महिलाओं की भी क्रिकेट टीम तैयार की जा रही है। छह राज्यों दिल्ली, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र व कर्नाटक में ब्लाइंड महिला टीम का गठन कर दिया गया है।


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