43 साल के बाद छिन गया आशियाना, अब तलाश रहे छत
करीब 43 वर्ष पूर्व जिस गांव में आशियाना मिला आज वहीं पर सिर से छत छिन गई। छह परिवार सड़क पर आ गए और कोई सुनने वाला नहीं है।
संवाद सहयोगी, धारूहेड़ा: करीब 43 वर्ष पूर्व जिस गांव में आशियाना मिला आज वहीं पर सिर से छत छिन गई। छह परिवार सड़क पर आ गए और कोई सुनने वाला नहीं है। जिला प्रशासन के साथ ही पंचायत से भी आग्रह किया जा चुका है लेकिन इनकी पीड़ा से शायद किसी का दिल नहीं पसीज रहा है।
एचएसवीपी की ओर से अधिग्रहित की गई है जमीन: ग्राम पंचायत खरखड़ा द्वारा वर्ष 1976 में वाल्मिकी समाज के छह भूमिहीन कामगार परिवारों को गांव की पंचायती जमीन पर बसाया गया था। पंचायती जमीन पर मकान बनाकर महावीर, रामचंद्र, राजू व खेमचंद आदि के परिवार रह रहे थे। जिस पंचायती जमीन पर ये छह परिवार रह रहे थे उसका गत वर्ष हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण कर लिया था। करीब तीन माह पूर्व वाल्मिकी समाज के घरों को तोड़ दिया गया, जिसके बाद से ये लोग बेघर ही हैं। जमीन अधिग्रहण के बाद राशि भी पंचायत के खाते में ही गई है। किसी ने खाली जमीन पर टीनशेड लगाया हुआ है तो कोई तिरपाल के नीचे सो रहा है। जब से मकान टूटे हैं तभी से ये बेघर परिवार पंचायत व प्रशासन से छत मांग रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पंचायती जमीन पर ये लोग रह रहे थे। पंचायती जमीन को एचएसवीपी ने अधिग्रहित कर लिया। पंचायत भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है कि इन लोगों को बसाया जा सके। इस मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। शीघ्र ही समाधान निकलेगा।
-रामपाल, सरपंच खरखड़ा।