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जलसंरक्षण के लिए किसानों के बीच पहुंचेंगे कृषि विभाग के अधिकारी

जलसंरक्षण को लेकर सरकार की ओर से चलाई जा रही मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत कृषि विभाग ने गत वर्ष की तरह इस बार भी किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें जागरूक करने के लिए अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली है। विभाग को गत वर्ष इस अभियान के तहत खासी कामयाबी मिली थी और जिले में 758 किसानों ने धान की खेती छोड़कर अन्य फसलों को प्रमुखता दी थी। इसका बड़ा लाभ यह रहा कि एक तो पानी बचाने की मुहिम को बल मिला दूसरा धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सहयोग राशि के रूप में प्रोत्साहन भी मिला।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 06:46 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 06:46 PM (IST)
जलसंरक्षण के लिए किसानों के बीच पहुंचेंगे कृषि विभाग के अधिकारी
जलसंरक्षण के लिए किसानों के बीच पहुंचेंगे कृषि विभाग के अधिकारी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : जलसंरक्षण को लेकर सरकार की ओर से चलाई जा रही मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत कृषि विभाग ने गत वर्ष की तरह इस बार भी किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें जागरूक करने के लिए अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली है। विभाग को गत वर्ष इस अभियान के तहत खासी कामयाबी मिली थी और जिले में 758 किसानों ने धान की खेती छोड़कर अन्य फसलों को प्रमुखता दी थी। इसका बड़ा लाभ यह रहा कि एक तो पानी बचाने की मुहिम को बल मिला, दूसरा धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सहयोग राशि के रूप में प्रोत्साहन भी मिला। वर्ष 2018 के खरीफ सीजन के दौरान दो हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी, लेकिन गत वर्ष 758 किसानों ने धान की खेती का मोह छोड़ते हुए मक्का, बाजरा, मूंग, कपास आदि की खेती की थी। सरकार ने भी ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करते हुए सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सहयोग राशि प्रदान की। इस अवधि में सरकार द्वारा 76 लाख से अधिक रुपये धान की खेती छोड़ने वाले किसानों के बीच वितरित किए गए। धान की खेती में लगता है अत्याधिक पानी सरकार द्वारा मेरा पानी मेरी विरासत कार्यक्रम के तहत किसानों को ऐसी फसल नहीं करने के लिए जागरूक किया जा रहा है, जिनमें पानी की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। धान की फसल भी इनमें से एक है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि एक किलो चावल के उत्पादन में करीब ढाई हजार लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस दौरान धान की पौध रोपाई के दौरान कम से कम नौ इंच पानी जमा करना जरूरी है। वहीं इसके बदले बाजरा, मक्का, कपास की खेती करते हैं तो इसकी तुलना में आधे से अधिक पानी की बचत होगी। वहीं, एक खेत में बाजरा, मक्का, कपास आदि फसलों में से सब्जी या दलहन की खेती भी साथ साथ करते हुए आमदनी बढ़ा सकेंगे।

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बारिश कम होने और लगातार गिरते भू-जलस्तर को रोकने के लिए किसानों को मेरा पानी मेरी विरासत अभियान के तहत धान की खेती छोड़ने के लिए अभी से जागरूक किया जाएगा। गत वर्ष 758 किसानों ने धान की खेती छोड़ी थी। उम्मीद है कि इस बार एक हजार से अधिक किसानों को समझा पाने में हम कामयाब होंगे।

-दीपक यादव, उपमंडल अधिकारी, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग


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