31 साल का परिपक्व युवा हुआ जिला
1 नवंबर 1966 को हरियाणा गठन हुआ था। हरियाणा गठन के दौरान रेवाड़ी एक अलग जिला नहीं था बल्कि उस समय गुड़गांव (गुरुग्राम) जिला का ही हिस्सा था। बाद में रेवाड़ी को महेंद्रगढ़ जिले में शामिल कर दिया गया।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: आज अपना रेवाड़ी जिला 31 साल का परिपक्व युवा हो गया है। 1 नवंबर 1989 को रेवाड़ी को अलग जिला बनाया गया था। रेवाड़ी के अलग जिला बनने की कहानी काफी संघर्षों से भरी हुई है।
1 नवंबर 1966 को हरियाणा गठन हुआ था। हरियाणा गठन के दौरान रेवाड़ी एक अलग जिला नहीं था बल्कि उस समय गुड़गांव (गुरुग्राम) जिला का ही हिस्सा था। बाद में रेवाड़ी को महेंद्रगढ़ जिले में शामिल कर दिया गया। हरियाणा गठन के पश्चात यहां विकास तो हुआ लेकिन वो गति नहीं मिल पाई जो मिलनी चाहिए थी। 23 साल के बाद 1 नवंबर 1989 को रेवाड़ी को अलग जिला बनाया गया। सही मायने में रेवाड़ी के विकास का सफर यहीं से शुरू हुआ। हरियाणा दिवस के दिन ही जिले का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है। यहां का जिला मुख्यालय जिले के नाम पर ही है। किसी जमाने में रेवत नगरी रहे रेवाड़ी को भगवान श्री कृष्ण के अग्रज बलराम का ससुराल होने का गौरव प्राप्त है। आगामी दो दशक में नोएडा की तर्ज पर इसी जिले में एमबीआइआर (मानेसर बावल इंवेस्टमेंट रीजन) नाम का नया शहर विकसित हो जाएगा।
गुरुग्राम से बड़ा था हमारा रेवाड़ी
रेवाड़ी आरंभ से ही एक ऐतिहासिक नगरी रही है। आज एशिया में अपनी विशेष पहचान रखने वाला गुरुग्राम वर्ष 1941 में रेवाड़ी के सामने गांव के समान था। वर्ष 1941 में रेवाड़ी शहर की आबादी जहां 30,673 थी वहीं गुरुग्राम की आबादी महज 9,935 थी। वर्ष 1961 में जाकर गुरुग्राम शहर ने रेवाड़ी से मामूली बढ़त ली थी। वर्ष 1961 में गुरुग्राम की आबादी 37,868 थी जबकि रेवाड़ी की आबादी 36994 थी। वर्तमान में रेवाड़ी जिले की आबादी 10 लाख के लगभग है। यहां देश का एकमात्र लोकोशेड है जिसमें रखे भाप इंजन को देखने के लिए बड़ी तादाद में विदेशी सैलानी आते हैं।
बदल चुकी है शहर की तस्वीर
रेवाड़ी शहर की तस्वीर बीते कुछ सालों में तेजी से बदली है। शहर के गढ़ी बोलनी रोड पर जब आप निकलेंगे यहां गगनचुंबी इमारतों को देखकर समझ ही नहीं पाएंगे कि आप रेवाड़ी में है या फिर किसी महानगर में। शहर के सेक्टरों में भी बड़ी तादाद में आबादी रह रही है। रेवाड़ी शहर में ही डेढ़ लाख से अधिक की आबादी रह रही है।
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5500 वर्ष पूर्व, राजा रेवत थे राजा
रेवाड़ी शहर की स्थापना के बारे में कोई प्रमाणिक ठोस लिखित इतिहास नहीं है लेकिन लोक मान्यता है कि लगभग 5500 वर्ष पूर्व यहां के शासक राजा रेवत थे। राजा रेवत अपनी पुत्री रेवती को प्यार से रेवा कहते थे। राजकुमारी रेवती का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम दाऊ से किया गया था और विवाह के समय यह नगर अपनी बेटी को दहेज में दिया दिया था। रेवाड़ी को पहले रेवा-वाड़ी कहा जाता था जो बाद में समय के अनुसार बदलकर रेवाड़ी हो गया। देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक होने का रेवाड़ी को बड़ा लाभ मिला। रेवाड़ी को पीतल नगरी, अहीरवाल की राजनीतिक राजधानी, वीरभूमि व सैनिकों की खान के नाम से भी जाना जाता है। उपलब्ध साक्ष्य इस बात के गवाह हैं कि यह महाभारतकालीन नगर है।
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सैनिकों की खान है हमारा जिला
रेवाड़ी जिले की सैन्य परंपरा बेहद सुदृढ़ है। जिले में 35 हजार से अधिक पूर्व सैनिक व वीरांगनाएं है, जबकि लगभग 25 हजार सैनिक व सैन्य अधिकारी सेवारत हैं। जिले की बेटियां भी अब सेना में अपना दमखम दिखा रही है।
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संघर्ष का सफरनामा:
रेवाड़ी ने 31 वर्ष की उम्र में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। यहां इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय भी है तो बावल में क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र व कृषि महाविद्यालय भी। प्रदेश के प्राचीनतम कालेजों में से एक अहीर कालेज भी शहर की शान बढ़ा रहा है। पीतल के बर्तनों के मामले में रेवाड़ी की पूरे देश में पहचान रही है। अब मेटल शीट्स के मामले में रेवाड़ी का वैसा ही जलवा है। अग्रवाल शीट मेट्लस व गुप्ता शीट मेट्लस जैसे उद्योग हैं जो देशभर में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। बावल औद्योगिक क्षेत्र में नामी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पदार्पण हो चुका है, इस वजह से बावल को आटो हब का दर्जा मिल चुका है। देश की कुल जरूरत का लगभग 80 फीसद कापर रेवाड़ी में ही तैयार होता है।
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इंतजार: एम्स का सिरे चढ़ना बाकी
जिलावासियों को अब एम्स जैसी महत्वपूर्ण परियोजना का इंतजार है। एम्स को लेकर जमीन का विवाद अभी निपटा नहीं है। केंद्र की टीम कई बार निरीक्षण कर चुकी है। सरकार व जिला प्रशासन के प्रयास लगातार जारी है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में यह महत्वपूर्ण परियोजना भी हमारी झोली में होगी।
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प्रदेश व जिले ने विकास के मामले में तेजी से तरक्की की है। आगे भी निश्चित तौर पर प्रदेश और भी तरक्की करेगा। सड़कों से लेकर कृषि क्षेत्र तक में प्रदेश नंबर वन है तथा जिला भी किसी मामले में पीछे नहीं है। उद्योग भी यहां खूब फल फूल रहे हैं।
-डा. बनवारीलाल, सहकारिता मंत्री एवं विधायक बावल
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हरियाणा विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ा है। रेवाड़ी के विकास को लेकर भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। जिलावासियों व प्रदेशवासियों को मैं हरियाणा दिवस व जिला के स्थापना दिवस पर बधाई देता हूं।
-चिरंजीव राव, विधायक रेवाड़ी
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हरियाणा गठन के बाद से ही प्रदेश प्रगति की राह पर अग्रसर है। सरकार का हिस्सा होने के नाते हमारा प्रयास रहेगा कि प्रदेश व जिले को जितना आगे ले जाया जा सकेगा उतना लेकर जाएंगे।
-लक्ष्मण यादव, विधायक कोसली