इस दस महीने के बच्चे की कहानी आपको रुला देगी, काटना पड़ेगा हाथ
पानीपत के मासूम पूर्व का हाथ कटना तय। बढ़ता जा रहा है सेप्टीसीमिया का संक्रमण। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल से लेकर रोहतक पीजीआइ के डॉक्टर नहीं बचा पा रहे उसका हाथ।
पानीपत, जेएनएन। हाथ में हल्का सा कांटा भी लगे तो असहनीय पीड़ा उठ जाती है। सोचिए, दस माह के मासूम का पूरा हाथ ही संक्रमण झेल रहा हो, तो वो कितने बड़े दर्द से गुजर रहा होगा। जो कोई भी ये सुनता है, एक बार बच्चे के लिए दिल से दुआ निकल आती है। वो जल्दी ठीक हो जाए। पर डॉक्टरों ने कह दिया है कि उसका हाथ काटना होगा, नहीं तो उसकी जान जा सकती है। क्यों बने ये हालात, क्या है ये बीमारी, यह जानने के लिए पढ़ें ये खबर।
पानीपत के गांव पसीना खुर्द निवासी सोनू के पुत्र पूर्व को तेज बुखार के कारण 29 नवंबर को हैदराबादी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉ. नैंसी अरोड़ा ने पांच दिन तक बच्चे का इलाज किया और 4 दिसंबर को डिस्चार्ज कर दिया था। घर पहुंचने के अगले दिन बच्चे को स्नान कराने के लिए बायें हाथ पर बंधी पट्टी खोली तो हाथ नीला पड़ चुका था। परिजन उसे लेकर दोबारा अस्पताल पहुंचे तो डॉ. नैंसी मौजूद नहीं थी। बाद में डॉक्टर ने राजू को फोन पर बताया कि लड़के का हाथ खराब हो गया है, उसे पीजीआइ रोहतक ले जाएं। पीजीआइ के डॉक्टरों ने बताया कि हाथ में सेप्टीसीमिया हो गया है। हाथ नहीं काटा तो रक्त के जरिए संक्रमण बढ़ता रहेगा। परिजन 6 दिसंबर को बच्चे को लेकर हैदराबादी अस्पताल पहुंचे और हंगामा कर दिया था।
बच्चे के साथ परिवार।
अस्पताल ने दिया है खर्च वहन का आश्वासन
हंगामा बढ़ते देख अस्पताल प्रबंधन ने इलाज खर्च वहन करने का भरोसा देकर बच्चे को प्रेम अस्पताल भेज दिया। इसके बाद परिजन पूर्व को लेकर 8 दिसंबर को सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली और सोमवार को बालाजी अस्पताल करनाल लेकर पहुंचे। तीनों अस्पतालों में डॉक्टरों ने संक्रमण रोकने के लिए हाथ काटना जरूरी बताया। हैदराबादी अस्पताल में हंगामा शांत करने पहुंची पुलिस को दी शिकायत में परिजनों ने डॉ. नैंसी पर गलत इंजेक्शन लगाए जाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामले की जांच और अस्पताल प्रबंधन ने बतौर सहानुभूति सर्जरी खर्च वहन करने का भरोसा गुस्साए परिजनों को दिया है।
इलाज में कोताही नहीं बरती - लखीना
हैदराबादी अस्पताल ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष ओम लखीना का कहना है कि इलाज में कोताही नहीं बरती गई है। सहानुभूति के तौर पर हैदराबादी अस्पताल प्रबंधन इलाज खर्च वहन करने के लिए तैयार है। इतना पैसा ट्रस्ट के पास भी नहीं है कि सर गंगाराम अस्पताल का खर्च उठा सके। सेप्टीसीमिया संक्रमण रोकने के लिए हाथ काटना जरूरी है, इसलिए प्रेम अस्पताल में बच्चे को भेजा गया था। परिजन शहर के किसी भी अस्पताल में बच्चे को ले जाना चाहें, अस्पताल ट्रस्ट खर्च वहन करेगी।
सर्जरी में देरी नहीं होनी चाहिए
प्लास्टिक सर्जन डॉ. संजय सोनी का कहना है कि गलत इंजेक्शन लगने से सेप्टीसीमिया होने का खतरा लगभग न के बराबर है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। मासूम पूर्व के हाथ को मैंने भी देखा था, इलाज से ठीक होना संभव नहीं है। हाथ जल्द नहीं काटा गया तो संक्रमण बढ़ता ही रहेगा। ऐसे में बच्चे की सर्जरी में देरी नहीं होनी चाहिए।
इन हालात में सेप्टीसीमिया का खतरा
- गंभीर जख्म या जला होना।
- छोटे बच्चों और बुजुर्गों को।
- रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होना।
- एचआइवी या रक्त कैंसर के कारण।
- यूरिनरी या इन्ट्रावेनस कैथेटर लगने से।
- कीमोथेरेपी या स्टेरॉइड इंजेक्शन लगने से।
- लंबी बीमारी, किडनी, लिवर, डायबिटीज होने से।
यह है सेप्टीसीमिया
सेप्टीसीमिया शरीर के किसी भाग में संक्रमण के कारण होता है। संक्रमण के वास्तविक स्रोत के बारे में अक्सर पता नहीं चल पाता। मूत्रमार्ग का संक्रमण, फेफड़ों का संक्रमण जैसे न्यूमोनिया, किडनी का संक्रमण और पेट का संक्रमण मुख्य है। सेप्टीसीमिया बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। पहले से अस्पताल में भर्ती और सर्जरी करा चुके मरीजों को ज्यादा खतरा होता है।