यमुनानगर में ड्रेन टूटी तो मची तबाही, निर्माण के दौरान उठा था सही दिशा न होने का मुद्दा
यमुनानगर में ड्रेन टूटने की वजह से गांव में बाढ़ जैसे आलम हो गया। ग्रामीणों ने उठाया था लापरवाही का मुद्दा। आरोप लगा है कि ये ड्रेन बिना प्लानिंग के बनी। ग्रामीणों की मान लेते अधिकारी तो न होती तबाही।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। खिजरी जंगल व आसपास के एरिया से बारिश के पानी की निकासी के लिए बनाई गई नागल ड्रेन तबाही का कारण बन गई। यह ड्रेन गांव खिजरी से अराइयांवाला की ओर जा रही है। करीब दो दशक पहले इस का निर्माण सिंचाई विभाग ने करवाया था। इसकी दिशा सही न होने का हवाला देते हुए निर्माण के दौरान ही ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था।
ग्रामीणों का तर्क है कि निकासी के लिहाज से ड्रेन की दिशा सही नहीं है। यह एरिया आगे जाकर ऊंचा है जिसके कारण पानी की निकासी संभव ही नहीं है। आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस ड्रेन का निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। क्षेत्रवासियों को इसका लाभ होने की बजाय नुकसान हो रहा है।
हर साल टूटती है ड्रेन
ग्रामीणों के मुताबिक निकासी के लिए बनाई गई यह ड्रेन एल आकार में बनी है। जैसी ही जोरदार बारिश होती है तो किनारे बहने शुरू हो जाते हैं। करीब दो दशक पहले इसका निर्माण करवाकर आज तक मरम्मत की भी जहमत नहीं उठाई जाती है। जहां से ड्रेन टूटती है, उसका आनन-फानन में ठीक करवा दिया जाता है। जैसे ही अगली बार बारिश होती है, फिर टूट जाती है। क्षेत्र के जयपाल सिंह व अश्वनी का कहना है कि इस समस्या का ठोस समाधान जरूरी है। इस ड्रेन को लेकर बड़ी लापरवाही यह भी है कि इसको किसी नहर से जोड़ा नहीं गया है। अराइयांवाला एरिया में ऐसे ही छोड़ दिया गया है। यदि पश्चिमी यमुना नहर में जोड़ दिया जाता तो नुकसान की संभावना कम हो सकती थी।
एनएच सहित कई गांवों की रास्ते बंद
नागल ड्रेन टूट जाने के बाद जगाधरी-पांवटा एनएच-73 सहित आसपास के गई गांवों के रास्ते बाधित हो गए। लोगों को गंतव्य स्थान तक पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। तेज बहाव होने के कारण वाहन सड़कों पर फंस गए। कई घंटे बाद स्थिति सामान्य हुई। अराइयांवाला, बांबेपुर व चांदपुर गांव के लो लाइन एरिया में पानी घुसकर सड़कों पर फैल गया। खेतों में खड़ी गन्ना व धान की फसल खराब होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। किसानों का कहना है कि अब तक सूखे के कारण फसलें प्रभावित हो रही थी, लेकिन अचानक बाढ़ के जैसी स्थिति बन गई।