यूके में दवाओं पर रिसर्च करेगी गांव की गलियों में पली कोमल Panipat News
यमुनानगर की कोमल को कॉमनवेल्थ स्प्लिट साइट स्कॉलरशिप-2019 के लिए चुना गया है। वर्तमान में कोमल पीयू स्थित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज की रिसर्च स्कॉलर हैं।
पानीपत/यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। रादौर के धानपुरा गांव की गलियों में पली-बढ़ी कोमल सैनी अब यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकाशायर प्रेस्टन में दवाओं पर रिसर्च करेगी। वह पीयू स्थित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज की रिसर्च स्कॉलर है। उसे कॉमनवेल्थ स्प्लिट साइट स्कॉलरशिप-2019 के लिए चुना गया है और इंडो-ब्रिटिश कोलेब्रेटिव रिसर्च के तहत अब डेवलेपमेंट ऑफ टॉपिकल नैनोफार्मूलेशन ऑफ पेट्रा हाइड्रो करक्यूमिन एंड टैक्नोमीलस फॉर स्किन इन्फेलेमेशन (त्वचा संबंधी रोग में प्रयोग होने वाली दवाइयां)पर काम करेगी।
सरकारी स्कूल में ली शिक्षा
कोमल सैनी ने चमरोड़ी के सरकारी स्कूल से 10वीं और रादौर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं कक्षा पास की है। वह मेडिकल की छात्रा रही है। 12वीं पास करने के बाद पीआइएमएस रोहतक से बी-फार्मेसी की। उसके बाद गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार से एम फार्मेसी की है। खास बात यह भी है कि पढ़ाई के लिए यह होनहार छात्रा अभिभावकों पर निर्भर नहीं रही, बल्कि अपनी स्कॉलरशिप से डिप्लोमा और डिग्री पास की है। मेडिकल जैसी महंगी पढ़ाई अपने बूते पर की है।
सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं
दैनिक जागरण से बातचीत में कोमल ने कहा कि सफलता का कोई शॉट कट नहीं होता। यदि जीवन में सफल होना है को मेहनत करनी पड़ेगी। इसका कोई विकल्प नहीं है। कुछ विद्यार्थी सोचते हैं कि बिना मेहनत किए मुकाम हासिल कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। सोना तपकर ही कुंदन बनता है। ईश्वर ने हमें मौका दिया तो कुछ खास करना चाहिए। असफलता के डर से अपने कदमों को पीछे नहीं हटाना चाहिए। अहमियत किसी भी क्षेत्र की कम नहीं है। बशर्ते हमें उस क्षेत्र का मास्टर बनना होगा। विषय की गहराई में जाएंगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। मेरा सपना मेडिकल के क्षेत्र में जाने का था। गुरुजनों व माता-पिता के निर्देशन और आशीर्वाद से यह पूरा हुआ है।
कोमल के पिता बृज मोहन 12वीं पास हैं और हरियाणा पुलिस में नौकरी कर रहे हैं। उनकी माता मंजीत कौर 10वीं पास है। माता-पिता का कहना है कि बेटी की इस उपलब्धि पर उनको नाज है। वह दिसंबर-2020 तक यूके में ही रहेगी। उनको गर्व है कि ग्रामीण परिवेश से निकलकर बेटियां विदेशों में नाम कमा रही हैं। पढ़ाई के मामले में कोमल उन पर कभी बोझ नहीं बनी। अपनी मेहनत के दम पर इस मुकाम तक पहुंची है।