रियल एस्टेट में हुआ नुकसान तो खेती में आजमाई किस्मत, फिर मिली देशभर में पहचान
हरियाणा के यमुनानगर के कारोबारी संजय शर्मा ने रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में किस्मत को आजमाया। लेकिन वहां सफल नहीं हो सके। इसके बाद थ्री स्टार होटल के लिए खरीदी जमीन पर मशरूम का प्लांट खड़ा कर दिया।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। जिस व्यक्ति को आटोमोबाइल से लेकर रियल एस्टेट में कामयाबी नहीं मिली उस शख्स को पहचान दिलाई मशरूम ने। वैसे तो गांवों में छोटे-मोटे स्तर पर मशरूम का उत्पादन हो रहा है लेकिन माडल टाउन निवासी संजय शर्मा चला रहे हैं मशरूम प्लांट।
पूरी तरह से एसी यह प्लांट उत्तर भारत के सबसे बड़े प्लांटों में शुमार है। जिनकी मदद से तपती गर्मी में भी प्लांट के अंदर का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। इन्होंने मशरूम प्लांट को स्नो फार्म नाम दिया है। इनकी बटन मशरूम देश के कई राज्यों के साथ-साथ विदेश में भी जाती है। अपने प्लांट में इन्होंने आसपास के गांवों के 200 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रखा है।
थ्री स्टार होटल की जगह बन गया मशरूम प्लांट
संजय शर्मा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में आटोमोबाइल कारोबार करते थे। वह नहीं चला, तो बंद कर रियल एस्टेट में आ गए। इसमें भी मंदी का सामना करना पड़ा। जगाधरी-अंबाला मार्ग पर खेड़ा पावर हाउस के पास अपनी करीब साढ़े छह एकड़ जमीन पर थ्री स्टार होटल बनाने का विचार आया। मंदी की वजह यह प्रोजेक्ट रूक गया। इसी दौरान दोस्तों के साथ बैठे हुए थे। मशरूम खा रहे थे। मजाक कर रहे थे कि हर बिजनेस में नुकसान हो रहा है। अब क्या किया जाए। तभी एक दोस्त ने कहा कि मशरूम ही उगा लो कम से कम मुफ्त में तो खाने को मिलेगी। रोजाना महंगे दाम पर खरीदनी पड़ती है। बस फिर क्या था। कई प्लांटों में जाकर मशरूम के बारे में पता किया और यहां पर कार्य शुरू कर दिया। शुरूआत में छोटा प्लांट लगाया। काम बढ़ता गया। अब सात टन रोजाना का उत्पादन कर रहे हैं। पहले स्पोन (बीज) सरकार से खरीदते थे। अब मशरूम के साथ कंपोस्ट व स्पोन भी बनाते हैं। अपने लिए भी प्रयोग करते हैं और छोटे उत्पादकों को भी बेचते हैं।
नेपाल भी जाती है इनकी मशरूम
इस प्लांट में बटन मशरूम पैदा होती है। सबसे अधिक इसी मशरूम की डिमांड होती है। यहां से दिल्ली, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर व जीटी बेल्ट के जिलों के अलावा गोरखपुर के रास्ते नेपाल में भी मशरूम सप्लाई होती है। संजय शर्मा का कहना है कि लाकडाउन में दिक्कत आई थी। ट्रांसपोर्टेशन व माल के खरीदार न होने की वजह से दिक्कत आई। अब फिर से डिमांड बढ़ गई है। हालांकि सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिली। अन्य उद्योगों के लिए राहत मिली है, लेकिन कृषि के लिए नहीं। अब दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का असर भी दिखने लगा है। क्योंकि मशरूम को ज्यादा दिन तक रोक कर नहीं रख सकते। एसी गाड़ियों में इसे दिल्ली ले जाया जाता है। यदि आंदोलन लंबा चला तो नुकसान हो सकता है।
10 टन क्षमता का है प्लांट : रमेश सैनी
जिला उद्यान अधिकारी डा. रमेश सैनी ने बताया कि स्नो फार्म मशरूम प्लांट दस टन क्षमता का है। इतना बड़ा प्लांट निश्चित रूप से उत्तर भारत में नहीं है। इस प्लांट की वजह से काफी लोगों ने उत्पादन शुरू किया है।