Move to Jagran APP

यमुना नदी शांत हुई और नहरें उफान पर आ गई, सांसत में लोगों की जान panipat news

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीचों-बीच बह रही यमुना नदी अब शांत है लेकिन दक्षिण हरियाणा की प्यास बुझा रही पश्चिमी यमुना व आवर्धन नहर उफान पर हैं। इससे किसानों की चिंता बढ गई है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 01:35 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 05:02 PM (IST)
यमुना नदी शांत हुई और नहरें उफान पर आ गई, सांसत में लोगों की जान panipat news
यमुना नदी शांत हुई और नहरें उफान पर आ गई, सांसत में लोगों की जान panipat news

जेएनएन, पानीपत  : हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीचों-बीच बह रही यमुना नदी अब शांत है, लेकिन दक्षिण हरियाणा की प्यास बुझा रही पश्चिमी यमुना व आवर्धन नहर उफान पर हैं। दोनों में क्षमता का अधिक पानी का बहाव है। पश्चिमी यमुना नहर हथनीकुंड बैराज से अलग होकर हमीदा हेड से होते हुए दक्षिण हरियाणा की ओर बह रही है। आवर्धन नहर यमुनानगर के हमीदा हेड से अलग होती है

loksabha election banner

जोनिये, किस नहर में कितना पानी 
यमुना नदी में इन दिनों 7204 क्यूसेक, पश्चिमी यमुना नहर में करीब 13 हजार व आवर्धन नहर में 2800 क्यूसेक पानी का बहाव है। हथनीकुंड बैराज पर 80 हजार क्यूसेक से ऊपर पहुंचते ही पश्चिमी यमुना नहर व पूर्वी यमुना नहर में पानी की सप्लाई रोक दी है। जिससे यमुना नदी में जल स्तर बढ़ जाता है और नहरें खाली हो जाती हैं। यमुना नदी में पानी का बहाव कम होते ही नहरों में सप्लाई बढ़ा दी जाती है।

पश्चिमी यमुना नहर के किनारे कच्चे, आवर्धन के भी बेहतर नहीं 
पश्चिमी यमुना नहर के किनारों को पक्का करने का काम अधर में लटका हुआ है। पटरी मजबूत न होने के कारण टूट रही है। हालांकि सिंचाई विभाग ने मिट्टी व ईंटें डलवाकर लीपापोती कर दी है, लेकिन ऐसे स्थानों की संख्या कम नहीं है जहां पटरी काफी कमजोर हो चुकी है। खुर्दबन व पोटली गांव में बीते दिनों पटरी टूट गई थी। इससे पहले भी कई बार पटरी टूट चुकी है। ऐसे ही हालात आवर्धन नहर के हैं।

विभाग की पॉलिसी डाल रही खतरे में जान
आवर्धन नहर बेशक यमुनानगर के एरिया में बह रही हो, लेकिन देखरेख का जिम्मा आज भी करनाल के सिंचाई विभाग पर है। मरम्मत व पानी उतरवाने को लेकर विभाग की पॉलिसी आज भी वही है जो खोदाई के समय थी।

नहर के किनारे कमजोर हो रहे 
दक्षिण हरियाणा में पानी पहुंचाने के लिए 1970 के दशक में नहर की चालू हुई थी। इसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि देखरेख के अभाव नहर के किनारे कमजोर हो रहे हैं। पर मरम्मत नहीं हो रही। करनाल की सीमा तक इस नहर की लंबाई करीब 18 किलोमीटर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.