World AIDS Day 2021: चिंताजनक, पानीपत में इस वजह से एड्स मरीजों का बढ़ रहा ग्राफ
World AIDS Day 2021 आज विश्व एड्स दिवस है। पानीपत में एफएसडब्ल्यू की वजह से एड्स संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। ग्रुप में इंजेक्टिव नशा करने वालों की संख्या 220 से अधिक जिले में 650 महिला और 335 पुरुष एसडब्ल्यू।
पानीपत, [राज सिंह]। समाज में एक ऐसे लोगों की दुनिया भी है, जो हम जैसे ही हैं, लेकिन उनके हावभाव, बातचीत का अंदाज हमसे बहुत अलग है। समाज उन पर कितनी भी अंगुली उठाए, संख्या साल-दर-साल बढ़ ही रही है। यहां जिक्र है महिला और पुरुष एसडब्लू की। जिले में 650 एफएसडब्ल्यू 335 एमएसडब्ल्यू हैं। एचआइवी-एड्स का संक्रमण फैलाने में इनकी बड़ी भूमिका संभावित है। जिला रेडक्रास सोसाइटी के टारगेट इंटरवेंशन प्रोग्राम के आंकड़े तो यही बताते हैं। हालांकि, सर्वे नए सिरे से हो तो इनकी संख्या बढ़ने की पूरी आशंका है। इतना ही नहीं ग्रुप में इंजेक्टिव नशा करने वालों की संख्या भी 220 के पार है।
एमएसएम से एचआइवी-एड्स का अधिक खतरा रहता है। ये शहर के हर मुहल्ले में मिल जाएंगे। इन्हें मानसिक रूप से बीमार कहना भी गलत नहीं होगा। इनकी काउंसलिंग भी आसान नहीं है। खुद को ये बीमार ही नहीं मानते। जिला रेडक्रास सोसाइटी के सचिव गौरव रामकरन और टारगेट इंटरवेंशन प्रोग्राम की प्रोजेक्ट मैनेजर सुदेश कुमारी ने संयुक्त रूप से बताया कि मेल-फीमेल वर्कर्स को चिन्हित करने के लिए जल्द ही सर्वे शुरू होगा।
अस्पताल में यह है सुविधा
सिविल अस्पताल, ओपीडी ब्लाक के प्रथम तल पर एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल थैरेपी) सेंटर खुला हुआ है। नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) ने मंजूरी दे दी है। जांच के लिए मरीजों के सैंपल जांच के लिए रोहतक पीजीआइ भेजे जाते हैं।
यह भी कहता है कानून
एचआइवी-एड्स मरीज की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। मरीज शारीरिक संबंधों के जरिए पार्टनर को बीमारी नहीं परोस सकता। शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे कंडोम का इस्तेमाल करना होगा। इस्तेमाल किया कंडोम और सीरिंज को शेयर नहीं कर सकता। परिवार के बच्चों और महिला का विशेष ध्यान रखना होगा। लापरवाही बरतने और दोषी पाए जाने पर मरीज के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
गर्भावस्था में जांच जरूरी
नोडल अधिकारी डा. आशीष ने बताया कि पति या पत्नी कोई एक एचआइवी पाजिटिव है। महिला गर्भवती है तो प्रसव पूर्व सभी जांच कराएं। अस्पताल में सुरक्षित प्रसव संपन्न होना जरूरी है। प्रसव के 72 घंटे के भीतर नवजात को नवेपाप्रिन दवा दी जाती है, ताकि वह संक्रमण से बचा रहे।