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काम की खबर, सिविल अस्‍पताल में कैपिटल अक्षरों में जेनरिक दवा लिखनी होगी, आप जागरूक रहें

पानीपत के अस्पताल सीएचसी-पीएचसी को भेजा गया रिमाइंडर। महंगी दवा खरीदने के झंझट से मुक्‍ति मिलेगी। अगर आपको कंपनी की दवाई लिखकर दी जा रही है तो शिकायत की जा सकती है। फार्मासिस्‍टम को हस्‍ताक्षर करने होंगे। मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 01:03 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:03 PM (IST)
काम की खबर, सिविल अस्‍पताल में कैपिटल अक्षरों में जेनरिक दवा लिखनी होगी, आप  जागरूक रहें
जेनरिक दवाएं न लिखी जाएं तो शिकायत कर सकते हैं।

पानीपत, जेएनएन -  सिविल अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी, हेल्थ वेलनेस सेंटर के चिकित्सकों को अब ओपीडी स्लिप पर कैपिटल अक्षरों में जेनरिक दवाओं के नाम लिखने होंगे। सरकारी अस्पताल में कोई मेडिसिन नहीं है तो डिस्पेंसरी के फार्मासिस्ट को लिखकर देना होगा।

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मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने वर्ष 2009 में गाइडलाइन तय की थी। इसके मुताबिक सभी सरकारी-प्राइवेट चिकित्सकों को मरीज के परचे पर कैपिटल अक्षरों में दवा का नाम साल्ट सहित लिखना होगा। इसका उद्देश्य ब्रांड नेम पर अंकुश लगाना था। प्राइवेट डाक्टर तो पहले दिन से ही एमसीआइ की गाइडलाइन की अवेहलना करते रहे हैं, सरकारी डाक्टर भी उनकी राह पर हैं। आदेशों की पुष्टि करते हुए एमएस डा. आलोक जैन ने कहा कि पढ़ने योग्य शब्दों में जेनरिक दवाइयां ओपीडी स्लिप पर लिखनी होंगी।

सभी को रिमाइंडर भेज दिया है। डा. जैन के मुताबिक जो मेडिसिन स्टाक में उपलब्ध नहीं, ओपीडी स्लिप में एनए मार्क करने उपरांत फार्मासिस्ट को हस्ताक्षर करने होंगे।

ये जानना है जरूरी 

  • 640 तरह की मेडिसिन स्टाक में जरूरी
  • 216 तरह की दवाएं मौजूद 
  • 66 फीसद मेडिसिन का फिलहाल अभाव

ब्लड बैंक बना सपना 

तकरीबन 14 लाख की आबादी पर बने 200 बिस्तर के सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक खुलना तो फिलहाल सपना हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर का काम चल रहा है। मशीनरी कब आएगी, कब लाइसेंस मिलेगा।

आइसीयू नहीं रनिंग में 

अस्पताल में दो वेंटीलेटर युक्त गहन चिकित्सा यूनिट बनकर तैयार है। यूनिट को रनिंग में लाने के लिए तकनीकि स्टाफ की जरूरत हैं। अस्पताल प्रशासन ने डिमांड भेज दी है, कब पूरी होगी बड़ा सवाल है।

एमसीएच विंग पिछड़ी 

सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर मदर एंड चाइल्ड केयर विंग बननी है। स्वास्थ्य विभाग ने 12 करोड़ से अधिक की धनराशि पीडब्ल्यूडी के खाते में ट्रांसफर कर दी है। नवंबर के अंत में बिल्डिंग को गिराने के लिए टेंडर जारी करने का दावा किया गया था, नतीजा ढाक के तीन पात जैसा है।


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