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श्रम विभाग के पास श्रमिकों का अधूरा डाटा

एडवोकेट वैभव देशवाल ने आरटीआइ लगाकर श्रम विभाग से जानकारी लेनी चाहिए। विभाग अधूरी जानकारी ही दे पाया। उन्होंने प्रेस वार्ता में बताया कि श्रम विभाग को दो हिस्सों में बांटा गया है। आरटीआइ लगाने के बाद सूचना दी कि पानीपत जिला में 2500 कारखाने हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 10:03 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 10:03 PM (IST)
श्रम विभाग के पास श्रमिकों का अधूरा डाटा
श्रम विभाग के पास श्रमिकों का अधूरा डाटा

जागरण संवाददाता, पानीपत : एडवोकेट वैभव देशवाल ने आरटीआइ लगाकर श्रम विभाग से जानकारी लेनी चाहिए। विभाग अधूरी जानकारी ही दे पाया। उन्होंने प्रेस वार्ता में बताया कि श्रम विभाग को दो हिस्सों में बांटा गया है। आरटीआइ लगाने के बाद सूचना दी कि पानीपत जिला में 2500 कारखाने हैं। इसमें एक विभाग ने 1518 कारखाने और पार्ट टू ने 867 कारखाने होने की सूचना दी। इसमें 1518 कारखाने में से 490 कारखाने ही रजिस्टर्ड हैं। 867 कारखाने में 176 कारखाने ही श्रम विभाग के पास रजिस्टर्ड हैं।

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पानीपत में मात्र 490 कारखानों के ही भवन नक्शे स्वीकृत है, वहीं पानीपत में कारखानों की संख्या करीब 30 हजार है। उन्होंने दावा किया कि इससे साबित होता है कि पानीपत में अधिकतर टेक्सटाइल फैक्ट्रियां का पंजीकरण ही नहीं है, ऐसे हालात में इन फैक्ट्रियों में काम कर रहे श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा। श्रम कानून लागू नहीं होने के कारण टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में सेवारत बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ, झारखंड, मध्य प्रदेश के चार लाख से अधिक कामगारों को सुविधा नहीं मिल रही।

श्रमिक नारकीय जीवन जीने को मजबूर

पानीपत से दुनिया के अधिकतर देशों में 15 हजार करोड़ रुपये कीमत का टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात होता है, जबकि घेरलू बाजार करीब 35 हजार करोड का है। पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग से केंद्र व प्रदेश सरकार को सालाना हजारों करोड़ रुपये का टैक्स दिया जा रहा है। कामगारों को सुविधा नहीं मिल रही।


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