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देखरेख के अभाव में मंडियों में सड़ रहा गेहूं, स्टाक उठाने पर सामने आई सच्चाई

जगाधरी अनाज मंडी में इन दिनों एक नहीं बल्कि कई जगह सड़ी हुई गेहूं के ढेर लगे हुए हैं। कर्मचारी इसकी अदला-बदली में जुटे हुए हैं। दरअसल गेहूं की खरीद का सीजन पूरा होने के बाद मई-जून माह में खरीद एजेंसियों ने गेहूं को खुले में स्टाक कर लिया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 04:16 PM (IST)
देखरेख के अभाव में मंडियों में सड़ रहा गेहूं, स्टाक उठाने पर सामने आई सच्चाई
यमुनानगर के जगाधरी मंडी में सड़ रहा गेहूं।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में देखरेख के अभाव में गेहूं किस तरह सड़ रही है। बानगी जगाधरी अनाज मंडी में देखी जा सकती है।  यहां से खुले में स्टाक हुई गेहूं का डठान हो रहा है। इस दौरान गेहूं की जो स्थिति देखी जा रही है, वह वाकई हैरान कर देने वाली है। चट्टे में ऐसी बारियों की संख्या कम नहीं है जो सड़ चुकी है। ढेले बने हुए हैं। इसमें से बदबू आ रही है। यहां तक जमाव भी होना शुरू हो गया है। खराब गेहूं को अलग कर फड़ पर फैंका जा रहा है। जो गेहूं ठीक-ठाक हालत में है, उसको दूसरी बोरियों में बदला जा रहा है। बताया जा रहा है कि गाेदामों में चावल का स्टाक है। इस चावल को महफूज रखने के लिए गेहूं को खुले में स्टाक कर दिया गया।   

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जगह-जगह पड़ी सड़ी हुई गेहूं

जगाधरी अनाज मंडी में इन दिनों एक नहीं बल्कि कई जगह सड़ी हुई गेहूं के ढेर लगे हुए हैं। कर्मचारी इसकी अदला-बदली में जुटे हुए हैं। दरअसल, गेहूं की खरीद का सीजन पूरा होने के बाद मई-जून माह में खरीद एजेंसियों ने गेहूं को खुले में स्टाक कर लिया। क्योंकि सरकार के पास अनाज को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोदाम नहीं हैं। मंडियों से यह स्टाक आज तक नहीं उठ पाया। न केवल जगाधरी अनाज मंडी बल्कि अन्य में भी गेहूं के लाखों कट्टे खुले में ही स्टाक किए गए थे। अन्य मंडियों से उठान हो चुका है जबकि जगाधरी अनाज मंडी में अभी पड़ा हुआ है। यहां से उठान धीमी गति से हो रहा है। 

यह है भंडारण व्यवस्था

खाद्य और आपूर्ति विभाग के कार्यालय के परिसर : 8400 टन

जगाधरी : 10 हजार टन

जगाधरी स्टैंड : 10 हजार टन

छछरौली : 5 हजार टन

बारिश में भीगती गेहूं 

हर साल सीजन में खरीद एजेंसियां गेहूं को खरीदकर अनाज मंडियों व अन्य स्थानों पर खुले में ही स्टाक लगा देती हैं। बारिश से बचाव के लिए इन पर तिरपाल जरूर ढकी जाती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होती। बारिश की तेज बौछारों से गेहूं की बोरियां भीग जाती हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान का भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण हर साल हजारों कट्टे अनाज के सड़ जाते हैं। गरीब आदमी एक-एक निवाले को तरसता है, लेकिन अनाज मंडियों में अनाज हर साल खराब हो रहा है। सरकार भंडारण की व्यवस्था नहीं करवा पा रही है। किसान जो अनाज पैदा कर रहा है, सरकार उसको भी सुरक्षित नहीं रख पा रही है।

सरकार को करवा चुके अवगत

अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान शिव कुमार संधाला का कहना है कि अनाज को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था होनी जरूरी है। सरकार आज तक यह व्यवस्था नहीं करवा पाई। जबकि इस संदर्भ में कई बार सरकार को अवगत कराया जा चुका है। सीजन में एजेंसियां अनाज खरीदकर खुले में ही गेहूं की चट्टे लगवा देती हैं। जितना अनाज गोदामों में रखा जाता है, उससे कई गुणा अधिक खुले आसमान के नीचे रहता है। नए गोदाम बनाए जाने की जरूरत है।


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