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मार्च माह के पहले सप्ताह में पहाड़ों में बदलेगा मौसम, हरियाणा में ऐसा दिखेगा असर

मार्च में दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं। आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा। हवा के बदलते रूख के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा। कुछ दिन काफी तेज हवा चलेगी जबकि कुछ दिन हवा की गति बहुत कम रहेगी।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 05:41 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 05:41 PM (IST)
मार्च माह के पहले सप्ताह में पहाड़ों में बदलेगा मौसम, हरियाणा में ऐसा दिखेगा असर
8 और 9 मार्च को समूचे उत्तर भारत में फिर से मौसम शांत रहेगा।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। मौसम में उतार-चढ़ाव का सिलसिला अभी जारी है। मार्च माह में भी दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं, लेकिन इनका असर पहाड़ी क्षेत्र में देखने को मिलेगा, मैदानी क्षेत्रों पर ज्यादा प्रभाव नहीं रहेगा। हवा के बदले रुख के कारण मैदानी क्षेत्र में गिरावट देखने को मिलेगी। मार्च के पहले सप्ताह के दौरान उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में हवा के रुख में बदलाव और आकाश की स्थिति मिली जुली रहने की संभावना है। इन परिवर्तनों के साथ, तापमान में उतार-चढ़ाव होता रहेगा। कुछ दिन ऐसे हो सकते हैं जब काफी तेज हवाएं चलेंगी जबकि कुछ दिन ऐसे हो सकते हैं जब हवा की गति बहुत कम रहेगी। 8 और 9 मार्च को समूचे उत्तर भारत में फिर से मौसम शांत रहेगा। उसके बाद 10 मार्च को फिर से एक सिस्टम उत्तर भारत में आ जाएगा।

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यह रहा मंगलवार का तापमान

मंगलवार को अधिकतम तापमान 25.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज  किया गया, वहीं न्यूनतम तापमान 12.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। सुबह के समय नमी की मात्रा 93 फीसदी दर्ज की गई, जो शाम को घटकर 84 फीसदी रह गई। हवा 4.2 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा, तेज हवाएं चलने से तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है। 

जींद में 33 डिग्री तक पहुंच सकता है अधिकतम तापमान, शुष्क रहेगा मौसम 

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जींद : मौसम विभाग के अनुसार सात मार्च तक तापमान में लगातार बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 29.7 डिग्री से 33 डिग्री तक पहुंच सकता है। वहीं न्यूनतम तापमान 11.5 डिग्री से 15 डिग्री तक रह सकता है। जो गेहूं की फसल में बीमारियों के लिए अनुकूल है। कृषि विज्ञान केंद्र ङ्क्षपडारा से मौसम विशेषज्ञ डा. राजेश कुमार ने बताया कि इस दौरान मौसम शुष्क बना रहेगा। यह समय गेहूं की फसल में दाना बनने का है। सामान्य से ज्यादा तापमान रहने के कारण दाना सिकुड़ सकता है। यह मौसम गेहूं की फसल में चेपा और तेला के आक्रमण के लिए अनुकूल है। इसलिए किसान सुबह-शाम फसल की निगरानी करें। अगर बाली या ऊपरी पत्तों पर चेपा या तेला ज्यादा दिखाई दे, तो मेलाथियान दवा का स्प्रे करें। जरूरत के अनुसार ङ्क्षसचाई भी करें। सरसों की फसल में भी अगर तेला दिखाई दें, तो उसमें भी स्प्रे कर सकते हैं। जींद जिले में करीब 2.15 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। ज्यादा गर्मी का नुकसान सबसे ज्यादा पिछेती फसल को होगा। जिन किसानों ने कपास की फसल के बाद नवंबर के अंत में और दिसंबर में गेहूं की बिजाई की है। उसमें अभी बाली आनी शुरू हुई है। गर्मी के कारण दाना बारीक रहेगा और फसल भी समय से पहले पकेगी। 


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