Move to Jagran APP

मशरूम पर मेहरबान रहा मौसम, 15 से 20 फीसद अधिक पैदावार, यमुनानगर में किसान हुए मालामाल

मशरूम को जिन दिनों जितने तापमान की जरूरत होती है उतना रहा है। अक्टूबर माह में अधिकतम तापमान 25-27 डिग्री सेल्सियस व नवंबर में 17-18 डिग्री सेल्सियस रहा। इन दिनों पीक सीजन होता है। इस बार लॉकडाउन के कारण कम प्रदूषण का होना भी मशरूम के लिए लाभकारी रहा है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 04:58 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 04:58 PM (IST)
पहाड़ों में बर्फबारी से ठंड लंबे समय चलने की संभावना है। मई तक सीजन चलने की उम्मीद है।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। मशरूम की खेती करने वालों पर इस बार कुदरत मेहरबान है। नमी व तापमान दोनों अनुकूल रहे। जिसके चलते उत्पादन में 15-20 फीसद बढ़ोतरी की बात कही जा रही है। दूसरा, पहाड़ों में हो रही बर्फबारी से ठंड लंबे समय तक चलने की संभावना है। मई माह तक सीजन चलने की उम्मीद है। सीजन के दौरान बीच-बीच में बरसात होने से प्रदूषण का स्तर भी कम रहा। कम प्रदूषण का होना भी मशरूम के लिए लाभकारी है। उत्पादकों के मुताबिक मशरूम का रेट भी 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है।

loksabha election banner

18 शेड में हर दिन 10 क्विंटल की पैदावार

1996 से मशरूम की खेती कर रहे लक्सीबास के किसान पवन कुमार ने बताया कि इस मशरूम की पैदावार अन्य वर्षों से स्वस्थ है। क्योंकि मशरूम को जिन दिनों जितने तापमान की जरूरत होती है, उतना रहा है। अक्टूबर माह में अधिकतम तापमान 25-27 डिग्री सेल्सियस व नवंबर में 17-18 डिग्री सेल्सियस रहा। इन दिनों पीक सीजन होता है। उन्होंने सवा एकड़ जमीन पर 18 शेड बनाए हुए हैं। जिनसे हर दिन 10 क्विंटल की पैदावार हो रही है। उत्पादक किसान जयपाल, प्रताप, नरेंद्र, गौरव व विपिन का कहना है कि कोरोना काल में प्रदूषण का स्तर कम रहने से भी फसल बेहतर हुई है।

लोकल मंडी व पंजाब में सप्लाई

पवन कुमार ने बताया कि इस बार दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना होने के कारण अधिकांश फसल लोकल मंडियों व पंजाब में सप्लाई हुई है। यहां भी फसल के अच्छे दाम मिले। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती का सीजन सितंबर से मई माह तक होता है। अगस्त माह में उन्होंने तैयारी करनी शुरू कर दी थी। सभी शेड पराली व बांस से तैयार करते हैं। करीब 40 एकड़ की पराली से छानें तैयार की हुई हैं।

उद्यान अधिकारी ने किया दौरा

जिला उद्यान अधिकारी डा. रमेश पाल सैनी ने लक्सीबांस गांव में मशरूम के शेड का दौरा किया। उन्होंने एक-एक में फसल का निरीक्षण किया। किसानों के प्रबंधन को देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि मशरूम की फसल को अपनाकर किसान न केवल खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं। किसान सफेद बटन के साथ-साथ ढींगरी मशरूम का भी उत्पादन कर सकते हैं। बाजार में इसकी डिमांड काफी है और आसानी से तैयारी की जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.