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कब्र में दफन लोगों से होती हैं बातें, दुखी होने पर यहां मिलता है दुलार

इस कब्रगाह से सैकड़ों लोगों के जज्बात जुड़े हैं। यहां पर अक्सर लोग आकर कब्र में दफन अपने वालिद से बातें करते हैं। लेकिन कुछ लोगों ने इन जज्बातों को नहीं समझा और उठाया ये कदम।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 06:04 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:42 AM (IST)
कब्र में दफन लोगों से होती हैं बातें, दुखी होने पर यहां मिलता है दुलार
कब्र में दफन लोगों से होती हैं बातें, दुखी होने पर यहां मिलता है दुलार

पानीपत/करनाल, जेएनएन। ये वाकया रोंगटे खड़े करने वाला है। जज्बात के ये आंसू चिल्ला चिल्लाकर कह रहे हैं कि कब्र में लेटे मेरे वालिद मुझसे बाते करते हैं। मेरा सुख दुख सुनते हैं। लेकिन उस फरियादी की कोई सुनने वाला नहीं था। वे कब्र से लिपटकर रो रहा था, चिल्ला रहा था। कब्र को न खोदने के लिए वह इधर से उधर फरियाद करता रहा। आखिर ऐसा क्या हुआ, जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की ये रिपोर्ट।

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करनाल के बलड़ी गांव के कब्रिस्तान की छह करनाल पांच मरले जमीन से से दो कनाल तीन मरले जमीन वक्फ बोर्ड ने लीज पर देने की तैयारी की। जिस जगह को लीज पर देकर मार्केट का नक्शा बनाया गया, वहां दुकानों के नीचे कब्र आ रही हैं। 

जहां अपनों की कब्र, अब वहा दुकानें बनेंगी
रोशन मलिक ने बताया कि दुकानों का यह नक्शा देखकर वे गश खा गए, क्योंकि जहां दुकानें दर्शाई गई हैं, वहां तो उनके अपनों की कब्र हैं। मलिक ने बताया कि मई 2018 में उन्हें पता चला कि कब्रिस्तान की जमीन लीज पर दी जा रही है।  

जिसने सुना आंखों में आ गए आंसू
बलड़ी गांव का रोशन रो रहा था। वह कह रहा था कि यहां अब्बू-अम्मी की कब्र है। दिवंगत भाईजान और अन्य अजीज लेटे हैं। इस राह से गुजरते हैं तो लगता है कि उनका साया साथ है। याद आती हैं तो कब्र के पास आ जाते हैं। सुख-दुख बतिया लेते हैं। कभी कमजोर पड़ते हैं तो पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ हौसला बढ़ जाता है। दिल दुखी होने पर अम्मी दुलार देती हैं। खुद को संभालते हुए बोला कि पैसों के लालच में उनके अपनों पर मार्केट बनाने का प्लान तैयार कर लिया गया। अब अपनी आंखों के सामने तो मां मुन्नी और पिता रतिराम सहित अन्य कब्रों पर दुकान बनते हुए नहीं देख सकते। जरूरत पडऩे पर वह कब्रों की हिफाजत के लिए अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

अंबाला मुख्यालय में तैयार हुआ प्लान
इसका पता चलते ही वह वक्फ बोर्ड के संपदा अधिकारी मोहिनुउद्दीन काजी से जाकर मिले तो उन्होंने बातचीत में वह नक्शा दिखाया, जहां कब्रिस्तान की जमीन पर मार्केट बनाई जानी है। इसे देखकर उन्होंने काजी से कहा कि कुछ तो अल्लाह का डर रखो, लेकिन काजी साहब ने कहा कि यह सारा प्लान तो अंबाला मुख्यालय में तैयार हुआ है। वह अंबाला में जाकर ही अपना पक्ष रखें।

60 दुकानों की मार्केट का प्लान तैयार
रोशन मलिक के अनुसार जो नक्शा उन्हें मिला है उसमें 30 दुकानें दर्शाई हैं। प्रथम तल पर भी 30 दुकानें बनाए जाने की बात सामने आई थी। ऐसे में कब्रिस्तान की जमीन पर 60 दुकानों की पूरी मार्केट बनाने का प्लान तैयार हुआ है। यह जमीन किसी दूसरे के लिए कीमती हो सकती है, लेकिन उनके लिए तो जीवन-मरण का सवाल है। वह किसी भी हाल में यहां मार्केट नहीं बनने देंगे। 

अधिकारियों के संरक्षण के बिना संभव नहीं प्लान
इस पूरे मामले में एक बात मुख्य तौर पर उभरकर सामने आई कि आला अधिकारियों के संरक्षण के बिना इतना बड़ा प्लान बनना संभव नहीं था, क्योंकि इस मामले पर बलड़ी गांव का अल्संख्यक समुदाय अधिकारियों के पास गया था। वहां सुनवाई नहीं हुई। किसी ने सलाह दी कि यदि वह अधिकारियों के चक्कर में रहे तो देर हो जाएगी और यहां मार्केट बना दी जाएगी।


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