काम स्कूलों में पानी पिलाना, चाहत बच्चों को पढ़ाने की
ग्रुप डी परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति पाने वालों के अरमान कुछ और हैं। कैथल में सरकारी स्कूलों में पहुंचे चपरासी पद के लिए चयनित युवक बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। बेरोजगारी ने भले ही युवाओं को पानी पिलाने का काम सौंपा है, लेकिन इनकी चाहत इससे ज्यादा है। वे बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। शिक्षा का उजियारा फैलाना चाहते हैं। ग्रुप डी में चयनित होने के बाद स्कूलों में चपरासी पद पर नियुक्त हुए युवाओं के इरादे देखकर हर कोई उनके जज्बे को सलाम कर रहा है। मामला कैथल का है। विस्तृत खबर के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की ये रिपोर्ट।
शिक्षा विभाग कैथल में भर्ती हुए 50 प्रतिशत चपरासी एचटेट, सीटेट व नेट पास हैं। इसके अलावा अधिकतर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। विभाग को ग्रुप डी भर्ती में से 57 चयनित कर्मचारी मिले हैं, जबकि स्कूलों में चपरासी के 75 पद खाली थे। इनमें से 40 को सोमवार को नियुक्ति दे दी गई थी। स्कूलों में नियुक्त इन पढ़े लिखे चपरासी से बात की तो इन्होंने कहा कि ये स्कूलों में पानी पिलाने की बजाय बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। इनका कहना है कि स्कूलों में पानी तो कई वर्षों से बच्चे ही पिला रहे हैं, लेकिन अगर उनसे पानी पिलवाने की बजाय बच्चों को पढ़वाने का कार्य करवाया जाए तो उन्हें अच्छा लगेगा। उनकी योग्यता का फायदा बच्चों को भी मिलेगा और स्कूल को भी।
मुखिया और प्राध्यापक के पास भी नहीं चपरासियों जैसी योग्यता
सरकारी स्कूलों में अधिकतर मुखिया व प्राध्यापक एमए पास हैं। दो प्रतिशत ही ऐसे होंगे जिन्होंने एमफिल या पीएचडी पास की हुई है। इसके अलावा ज्यादा मास्टर तो बीए और बीएड पास ही हैं।
चौंक जाएंगे चपरासियों की योग्यता देखकर
केस नंबर : 01
कैथल निवासी किरण तीन बार एचटेट,पांच बार सीटेट व संस्कृत में नेट पास कर चुकी है।
केस नंबर : 02
कैथल निवासी सीमा ने गणित में एमएससी के साथ ही बीएड, एचटेट व सीटेट पास किया हुआ है।
केस नंबर : 03
कैथल निवासी कबीर सैनी ने चार बार सीटेट, जेबीटी में एचटेट पास किया है।
केस नंबर : 04
अजय रंगा बीए, जेबीटी, आइटीआइ डिप्लोमा, एचटेट व सीटेट पास कर चुका है।
केस नंबर : 05
गांव बालू निवासी दिलबाग सिंह बीए, डी-फार्मेसी के साथ ही कंप्यूटर में डिप्लोमा कर चुका है।
केस नंबर : 06
गांव प्यौदा निवासी कुलदीप नॉन मेडिकल से बीएससी के साथ ही बीएड, एचटेट और सीटेट भी पास कर चुका है।
जहां शिक्षकों की कमी वहां पढ़ा सकते हैं
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के जिला प्रधान ईश्वर ढांडा ने कहा कि यह विभाग का सौभाग्य है जो इतने पढ़े लिखे कर्मचारी मिले हैं। जहां शिक्षकों की कमी हैं वहां इनके अनुभव का फायदा उठाया जा सकता है।
स्कूल मुखिया पर निर्भर : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी जोगेंद्र हुड्डा ने कहा कि अब जिन स्कूलों में ये कर्मचारी गए वहां के मुखिया पर निर्भर करता है कि वे इनसे क्या काम लेंगे। इसमें अधिकारी अपने स्तर पर कोई आदेश नहीं दे सकते हैं।