उगते सूर्य के साथ दिखी छठ की छटा, तस्वीरों में देखिए रौनक
छठ पर्व पर यह नजारा शायद ही देखने को मिला हो। कुछ क्षेत्रों का त्योहार अब हर जगह मनाया जाने लगा है। अब साफ हो गया कि छठ पर्व क्षेत्रीय पर्व नहीं रहा। तस्वीरों में जानिए क्या खास।
जेएनएन, पानीपत: छठ पर्व के समापन पर जो नजारा देखने को मिला वह अलौकिक था। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाने वाला छठ पर्व का जो उत्साह पानीपत में दिखा, उससे साफ हो गया कि अब छठ पर्व क्षेत्रीय पर्व नहीं रहा। जानिए क्या रहा खास।
छठ पूजा में बुधवार सुबह चार बजे से सात बजे तक असंध रोड, गोहाना रोड सहित बाबरपुर में घाटों पर एक लाख से अधिक लोग पहुंचे। सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पिछले चार दिनों से जारी छठ पूजा उत्सव का समापन हुआ। छठ मइया को प्रसन्न करने और परिवार की सुख, शांति, समृद्धि की मनोकामना पूरी करने के लिए व्रतधारियों ने नहर किनारे उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया।
पानी कम होने पर छोड़ा गया और ज्यादा पानी
घाटों पर व्यापक पुलिस व्यवस्था रही। पानी कम पड़ जाने के कारण सुबह सिंचाई विभाग ने अधिक पानी नहर में छोड़ा। व्रत धारियों के लिए कई संस्थाओं ने नींबू की चाय प्रबंध किया। सूर्य पूजा के बाद घाट से निकलते ही व्रतधारियों को नींबू की चाय दी जाती है। कई संस्थाओं ने भंडारे भी आयोजित किए।
सूर्य की आरती उतारतीं व्रतीं।
कुल देवी का किया पूजन
सूर्य का अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी घरों पर कूल देवी की पूजा करते हैं। घाटों पर नगर निगम ने व्यापक व्यवस्था की हुई थी। सफाई व्यवस्था के साथ-साथ लोगों की सुविधाओं का खास ख्याल रखा गया। घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
नहर किनारे पूजन के लिए लगी भीड़।
उमड़ा जन सैलाब
ट्रैफिक पुलिस ने व्यवस्था की थी। अधिक भीड़ होने के कारण सुबह छठ पूजा के समापन पर वापसी के दौरान स्कूली बसें भी जाम में फंस गई। सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिनों तक चली छठ पूजा का समापन हुआ।
अल सुबह से ही नहर किनारे पहुंच गए थे लोग।
आज से समापन
पर्व की शुरुआत 11 नवंबर से हुई थी। इस पर्व में पहले दिन नहाय-खाय में काफी सफाई से बनाए गए चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का भोजन व्रती के बाद प्रसाद के तौर लेने से इसकी शुरुआत होती है। दूसरे दिन खरना में शाम की पूजा के बाद सबको खीर का प्रसाद मिलता है। अगले दिन शाम में डूबते हुए भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। फिर अगली सुबह यानी आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन होता है।
सूर्योदय का इंतजार करतीं व्रती।
आस्था की भीड़ से असंध रोड नहर पर जाम
असंध रोड नहर पर सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालु जुटने लगे। छठ पर्व मनाने आए लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। नहर पर हजारों लोग छठ पर्व मनाने पहुंचे। अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रती घर रवाना होने लगे। नहर की पुलिया पर भीड़ ज्यादा हो जाने से एकाएक जाम लग गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देते कलाकार।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में गूंजे भक्ति गीत
छठ घाटों पर कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। छठी मैया के भक्ति गीतों शहर गूंज उठा। पूर्वांचल कल्याण समिति के पंडाल में बाहर से आए कलाकारों ने समां बांधे रखा।
संतान के खुशहाली के लिए रखा व्रत
सुहागिनों ने छठ पर्व किया। छठी मैया की पूजा अर्चना कर संतान की खुशहाली की कामना की। छठी मैया की पूजा करने आए श्रद्धालु सुनीलगुप्ता, सुजीव, पीपी गुप्ता, शिवाजी केसरी, देवानन्द, अरूण कुमार, और रीमा देवी आदि ने बताया कि जो लोग सच्चे मन से छठ माता की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस पर्व में 36 घंटे बिना खाए पिए व्रत करते हैं।
दो नहरों पर मनाया छठ पर्व
पानीपत रिफाइनरी, सिठाना गांव, गढ़ी सिकंदरपुर और बाबरपुर में छठ पर्व मनाया गया। राम राज्य सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेश चौधरी ने बताया कि दोनों नहरों के बीच छठ पर्व मनाया गया। शाम को अघ्र्य देने के बाद नहर की पुलिया पर जाम लग गया। लगभग दो किलोमीटर तक वाहनों की कतार लग गई। घाट पर बांस की बल्लियों से अस्थाई पुल बनाया गया है। जिससे हादसा हो सकता है। प्रशासन की तरफ से इंतजाम में कमी रह गई।
अर्घ्य देकर खुशहाली की कामना
समालखा में छठ पर्व पर नपा कार्यालय के अलावा पुरानी काठमंडी सिथत सतनारायण मंदिर व पंचवटी कालोनी में घाट बनाए गए। दुल्हन की तरह उसे सजाया गया। अस्ताचल गामी सूर्य को पहला अर्घ्य देकर संतान के बेहतर स्वास्थ्य व खुशहाली का कामना की। काठमंडी सिथत मंदिर में पूर्वांचल समाज के लोगों ने पूजा अर्चना की।