अन्न छोड़ा, जूस पीकर वजन घटाया, नेशनल में गोल्डन पंच जड़ा
विजय गाहल्याण, पानीपत: जीत का जज्बा होना चाहिए। फिर हर कठिनाई छोटी ही लगती है। शिमला
विजय गाहल्याण, पानीपत:
जीत का जज्बा होना चाहिए। फिर हर कठिनाई छोटी ही लगती है। शिमला मौलाना गांव की विंका ने पांच दिन तक खाना नहीं खाया। तीन किलो वजन घटाकर नेशनल चैंपियनशिप में चार बॉक्सरों को हराकर गोल्ड जीत लिया।
हुआ ये कि विंका ने सर्बिया के सोंबोर में हुए सातवें नेशंस जूनियर बॉक्सिंग कप में 63 किलोग्राम में पदक जीता। वह 16 जनवरी को सर्बिया से लौटीं। उसने 20 से 24 जनवरी तक महाराष्ट्र के अकोला में होने वाली 63वीं स्कूली नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 60 किलोग्राम में खेलना था। तीन किलो वजन घटाने लिए उसने खाना छोड़ दिया। ¨रग में हर रोज सात घंटे पसीना बहाया। दौड़ लगाई और वजन घटा लिया। प्रतियोगिता में शिरकत कर स्वर्ण पदक भी जीता।
भूख सहन कहना आसान नहीं था : विंका ने बताया कि वजन घटाने के लिए रोटी, चावल, सब्जी व अन्य खाद्य सामग्री छोड़नी पड़ती है। उसके लिए खाना छोड़कर सिर्फ जूस पर निर्भर रहना आसान नहीं था। कई बार हिम्मत भी टूटी लेकिन स्वर्ण पदक जीतने का सपना पूरा करना था। भूख से पेट में दर्द भी हुआ। इस पर काबू पा लिया। यही उसका सफलता का कारण भी बना।
वजन घटाने में माहिर है विंका : विंका के कोच सुनील कुमार ने बताया कि विंका ने स्कूली स्टेट में 60 किलोग्राम में पदक जीता था। इसी वजह से उसने इसी भार वर्ग में खेलना भी था। जिस खिलाड़ी की मसल्स बन जाती हैं उसे वजन घटाने में दिक्कत आती है। विंका की मसल्स नहीं है। उसके शरीर पर चर्बी ज्यादा है, इसलिए वह वजन घटा लेती है। विंका की इसी खूबी के वजह से उसे सफलता भी मिल रही है।
पदक जीतना जरूरी थी, सम्मान 27 को करेंगे : विंका के पिता धर्मेद्र ने बताया कि विंका सर्बिया से जीतकर 16 जनवरी को दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंची थी। तब ग्रामीण उसे गांव लाकर सम्मानित करना चाहते थे लेकिन कोच ने मना कर दिया। कोच विंका को पहले रोहतक और फिर झज्जर कैंप ले गए। बेटी के लिए पदक जीतना जरूरी थी, इसलिए उन्होंने जिद नहीं की। शिमला मौलाना की सरपंच पिंकी देवी ने बताया कि 27 जनवरी को विंका गांव लौटेगी, तब उसको सम्मानित किया जाएगा।