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कोरोना भी नहीं रोक पाया रास्‍ता, पढ़ाई बाधित हुई तो ग्रामीणों ने गांव में खोल दी लाइब्रेरी

कोरोना काल में छात्र और छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो गई। ऐसे में स्‍कूल कॉलेज बंद हो गए। ऐसे में पढ़ाई चालू रखने के लिए ग्रामीणों ने बीड़ा उठाया और गांव में ही लाइब्रेरी खोल दी। गांव से शहर पढऩे आने वाली बेटियों को फायदा हुआ।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 09:37 AM (IST)
कोरोना भी नहीं रोक पाया रास्‍ता, पढ़ाई बाधित हुई तो ग्रामीणों ने गांव में खोल दी लाइब्रेरी
बडनपुर गांव की लाइब्रेरी में पढ़ाई करती छात्राएं।

पानीपत/जींद, जेएनएन। कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगा हुआ था और स्कूल-कॉलेज, कोङ्क्षचग सेंटर सब बंद था तो विद्यार्थियों को पढऩे में दिक्कतें आ रही थी। कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए आपदा को अवसर में बदलते हुए उचाना के बडनपुर के ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से गांव में ही लाइब्रेरी खोल दी। लाइब्रेरी खुलने के बाद रोजाना बडनपुर से नरवाना शहर में पढऩे के लिए आने वाली छात्राओं को फायदा हुआ और उन्होंने गांव की लाइब्रेरी में ही कंपीटिशन टेस्टों की तैयारी शुरू कर दी। अब गांव की लाइब्रेरी में सैकड़ों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

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पढ़ाई के मामले में उचाना का बडनपुर काफी अव्वल माना जाता है। 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम में गांव में 100 से ज्यादा मेरिट रहती हैं। अभी हाल ही में गांव के चार बच्चों ने नीट का एग्जाम क्लीयर कर एमबीबीएस की राह चुनी है तो एक बच्चे ने आइआइटी एग्जाम क्लीयर किया है। गांव के सरकारी स्कूल ने पढ़ाई के मामले में मिसाल पेश की है। लॉकडाउन के दौरान बच्चों को पढ़ाई सुचारू रखने में दिक्कत आ रही थी तो ग्रामीणों ने बैठक कर गांव में ही लाइब्रेरी खोलने का विचार बनाया। इसके बाद पूरे गांव के सहयोग से चंदा एकत्रित किया गया। पूरे गांव में चंदा एकत्रित कर गांव में ही लाइब्रेरी खोल दी। लाइब्रेरी खोलने में पूरे गांव ने सहयोग किया।

बेटियों को हुआ फायदा

हालांकि गांव में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग लाइब्रेरी खोली जा चुकी हैं लेकिन लाइब्रेरी खोलने का ज्यादा फायदा बेटियों को हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार गांव की 30 से ज्यादा लड़कियां नरवाना शहर रोजाना पढऩे के लिए जाती थी। बस से आने और जाने में परेशानी तो होती थी, साथ ही समय भी बर्बाद होता था। गांव में लाइब्रेरी खुलने के बाद 50 से ज्यादा लड़कियां गांव की लाइब्रेरी में पढ़ रही हैं। गांव की लाइब्रेरी में बच्चे रात दो से तीन बजे तक पढ़ाई करते हैं।  

समय-समय पर लगाई जाती है क्लास

एजुकेशन प्रमोटर कमेटी के सदस्य राजेश श्योकंद, रणबीर श्योकंद ने बताया कि लाइब्रेरी में स्कूल के विद्यार्थी से लेकर कंपीटिशन टेस्टों की तैयारी करने वाले बच्चे आते हैं। पढ़ाई के दौरान बच्चों को अगर किसी तरह का संशय होता है तो समय-समय पर मैथ, रिजङ्क्षनग, इंग्लिश की क्लासिज भी लगाई जाती हैं, ताकि बच्चों को दिक्कत न आए।लाइब्रेरी में लाइट, इन्वर्टर की व्यवस्था है, जल्द ही वाईफाई भी लगा दिया जाएगा। लाइब्रेरी में पढऩे के लिए नाममात्र चार्ज लिया जाता है।


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