कहानी हरियाणा के उस किसान की, जो कम पानी में खेती कर कमा रहा लाखों
ये कहानी हरियाणा के उस किसान कि है जिसके अनोखे आइडिया ने उसकी जिंदगी ही बदल दी। अब वह दूसरों के लिए भी मिसाल बन गया है। कम पानी में खेती कर फसलों का उत्पादन दो बढ़ा ही। साथ ही लाखों रुपये में कमाए।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार परंपरागत खेती की बजाय किसानों का रुझान पानी की कम लागत वाली फसलों की ओर करने के लिए कई तरह की सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार की ओर से पिछले तीन सालों से सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी खासी बढ़ोतरी की जा रही है। सरसों के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी और सरसों के तेल की बढ़ती मांग को देखते हुए मुनाफा कमाने के लिए किसानों ने भी सरसों की खेती की ओर रुख कर लिया है। कुरुक्षेत्र जिला में ही हर साल सरसों का रकबा बढ़ता जा रहा है। गत वर्ष के करीब सात हजार एकड़ के मुकाबले इस साल कुरुक्षेत्र में करीब 27 हजार एकड़ में सरसों की बिजाई की गई है।
गत वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक में हुई बिक्री
गत वर्ष सरसों के तेल के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखी गई थी। तेल के दाम प्रति लीटर 200 रुपये तक पहुंच गए थे। ऐसे में किसानों को अनाज मंडियों में सरसों के दाम भी अच्छे मिले। गत वर्ष सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपये प्रति क्विंटल था और अनाज मंडियों से व्यापारियों ने छह हजार रुपये प्रति क्विंटल तक सरसों की खरीद की है।
गत वर्ष 225 तो इस बार 400 रुपये की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार की ओर से सितंबर 2020 में सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 225 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इसक बाद सितंंबर 2021 में केंद्र सरकार ने सरसों के दाम में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इससे प्रदेश में सरसों का समर्थन मूल्य 5050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
इस बार भी अच्छे दाम मिलने की उम्मीद
प्रगतिशील किसान जोगिंद्र पिंडारसी ने कहा कि पिछले दो सीजन से सरसों के दाम अच्छे मिल रहे हैं। दाम अच्छे मिलने पर किसानों को मुनाफा हुआ है। सरसों की खेती में गेहूं के मुकाबले कम लागत आती है। ऐसे में अच्छे दाम मिलने पर किसान को फायदा होता है। किसान परंपरागत खेती से मुंह मोड़ रहा है और हर साल इसके रकबे में बढ़ोतरी हो रही है।