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बिन फेरे हम तेरे, गवाह बने बाबा साहेब, बिना दहेज शादी की ये अनूठी मिसाल

डॉ. भीम राव आंबेडकर को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंधे जोड़े। सुनील, पूनम, अंकुश व अविनाश कौर ने पेश की मिसाल। एक जेबीटी व दूसरा है मारुति उद्योग गुरुग्राम में कार्यरत।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 08:20 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 11:24 AM (IST)
बिन फेरे हम तेरे, गवाह बने बाबा साहेब, बिना दहेज शादी की ये अनूठी मिसाल
बिन फेरे हम तेरे, गवाह बने बाबा साहेब, बिना दहेज शादी की ये अनूठी मिसाल

जागरण विशेष, यमुनानगर [नितिन शर्मा]: बिन फेरे हम तेरे। दो जोड़ों ने समाज के सामने ऐसी मिसाल पेश की, हर कोई उनकी तारीफ  कर रहा है। शादी में कोई दान-दहेज नहीं। कोई फेरे नहीं। गवाह बने देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबडेकर। उनके चित्र के सामने उन्‍हें ही साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंध गए। मांडखेड़ी निवासी सुनील कुमार जेबीटी हैं। इनकी पत्नी पूनम एमए बीएड पास हैं। साबेपुर का अंकुश मारुति कंपनी में कार्यरत हैं। वह एमएससी मैथ पास अविनाश कौर के साथ वैवाहिक बंधन में बंधे। पढ़ें ये खास खबर।

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जेबीटी सुनील कुमार बताते हैं कि जिस दिन उनका रिश्ता बि‍जलपुर की पूनम के साथ तय हुआ, तभी से तय कर लिया था कि विवाह सादगी से करेंगे। आपसी सहमति से दोनों ने तय किया कि फेरे नहीं लेंगे। नई तरह की शादी करेंगे, जो लोगों के बीच में यादगार होने के साथ अनोखी पहल होगी। ससुराल पक्ष के लोगों को भी बताया मंडप नहीं सजेगा। मंच पर डॉ. भीम राम आंबेडकर, गुरु रविदास, महात्मा बुद्घ के चित्र लाए गए। इन सभी को साक्षी मानते हुए शादी की रस्में पूरी की। अग्नि के फेरे नहीं लिए। सुनील बताते हैं कि उनकी पत्नी के पिता नहीं हैं। बड़ा भाई परविंद्र  अंबाला की कंपनी में जॉब करता है। माता आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में अनुबंध के आधार पर लगी हुई हैं। विषम परिस्थितियों में पूनम ने एमए हिंदी, बीएड की। ट्यूशन पढ़ाकर पढ़ाई पूरी की। सुनील खुद भी जेबीटी हैं। बीए, डीएड, डबल एचटेट, सीटेट, आइटीआइ की हुई है।

युवाओं के लिए दिया संदेश 
साबेपुर के अंकुश बताते हैं कि वह गुरुग्राम में मारुति कंपनी में कार्यरत हैं। उनकी जीवन संगिनी अविनाश कौर कुरुक्षेत्र की रहने वाली हैं। एमएससी मैथ पास हैं। बिना दान दहेज का विवाह रचाया है। बिना खर्च के शादी कर समाज के नव युवाओं को संदेश दिया है।

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जरूरी नहीं दिखावा हो
दोनों नव दंपती बताते हैं कि विवाह में दिखावा जरूरी नहीं है। ऐसे बहुत से माता-पिता हैं जो दहेज के चक्कर में जान गवां देते हैं। ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है। उनका मानना है कि इससे निश्चित ही समाज में बदलाव आएगा। उनका प्रयास जाति धर्म से ऊपर उठकर नए भारत का निर्माण करना है। दोनों ब्लू वेवज सामाजिक संगठन से जुड़े हैं। इनके साथ गांव-गांव जाकर लोगों को शिक्षा के लिए जागरूक करते हैं।


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