30 रुपये की चोरी का वांटेड 31 साल बाद गिरफ्तार, बुजुर्ग मां और लकवाग्रस्त पत्नी के लिए लगाई गुहार
कैथल पुलिस ने 30 रुपये जेब से काटने वाले वांटेड को 31 साल बाद गिरफ्तार किया है। आरोपित ने नशे की लत की वजह से चोरी की वारदात को अंजाम दिया था। जमानत के बाद से आरोपित फरार था।
कैथल, जागरण संवाददाता। जेब काटते हुए 30 रुपये चोरी करने के मामले में वांटेड अपराधी को पकडऩे में 31 साल बाद पुलिस के हाथ कामयाबी लगी है। जमानत मिलने के बाद वह वापस नहीं लौटा। 25 साल पहले अदालत ने उसे भगोड़ा करार दे दिया था। सिर्फ नशे की लत को पूरा करने के लिए जेबकतरे ने इस चोरी को अंजाम दिया था।
विभिन्न पुराने आपराधिक मामलों में वांछित भगोड़ों व बेलजंपरों की धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत इस अपराधी को गिरफ्तार किया गया है। थाना सदर प्रभारी सबइंस्पेक्टर रमेश चंद्र की अगुवाई में पुलिस टीम ने इसे पकड़ा।
एसपी लोकेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि गांव जसवंती निवासी कर्म ङ्क्षसह तीन दिसंबर 1990 को कहीं पर जाने के लिए गांव क्योड़क के बस अड्डे पर मौजूद था। जहां एक व्यक्ति ने उसकी जेब काट ली, जिसमें 30 रुपये थे। तीन दिसंबर को थाना सदर में केस दर्ज करके आरोपित धरौदी जिला जींद निवासी सुभाष को उसी दिन गिरफ्तार करके 30 रुपये बरामद भी कर लिए थे। तब उसने पूछताछ दौरान कबूला था कि नशे का आदी होने कारण वह अपनी लत की पूर्ति करने के लिए वारदात को अंजाम दे बैठा। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
आरोपित सुभाष न्यायालय से जमानत हासिल करने के बाद आगे समय पर अदालत में पेश नहीं हुआ और भूमिगत हो गया। उसे ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कैथल बशेसर वर्मा की अदालत ने 16 सितंबर 1996 को भगोड़ा करार दे दिया था। एसपी ने बताया कि थाना प्रबंधक सदर सब इंस्पेक्टर रमेश चंद्र की अगुवाई में सहायक उप निरीक्षक अशोक कुमार की टीम ने शोरगिर बस्ती जींद में दबिश देकर करीब 52 वर्षीय सुभाष को गिरफ्तार कर लिया।
बुजुर्ग मां और लकवाग्रस्त पत्नी का हवाला देकर मांगी रिहाई
इस दौरान सुभाष प्रेम विवाह कर चुका था, जिसके बाद उसे एक लड़का और एक लड़की संतान हैं। जांच में पूछताछ के बाद उसे बुधवार को अदालत में पेश कर दिया गया। न्यायालय के समक्ष अपना गुनाह कुबूल करते हुए उसने अपनी बुजुर्ग मां और लकवाग्रस्त पत्नी के इलाज व देखरेख करने के लिए रहम की गुहार लगाई। इस पर अदालत ने सुभाष को अंडरगोन (जितने समय तक वह विचाराधीन आरोपित के तौर पर पहले ही कारावास में रह चुका है, उसे पूरी सजा मानते हुए) करते हुए रिहा कर दिया।