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नई शिक्षा नीति के तहत सुधरेगा विद्यार्थियों के पढ़ाई का स्तर, विभाग ने तैयार की ये रणनीति

नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों में पढ़ाई का स्तर बढ़ाने व सीखने की ललक की जाएगा पैदा। शिक्षा विभाग ने इसे लेकर एक रणनीति तैयार की है। जिसके तहत पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों पर विशेष तौर से काम किया जाएगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 05:18 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 05:18 PM (IST)
नई शिक्षा नीति के तहत सुधरेगा विद्यार्थियों के पढ़ाई का स्तर, विभाग ने तैयार की ये रणनीति
नई शिक्षा नीति के तहत बदलेगा पढ़ाई का तरीका।

जींद, जागरण संवाददाता। नई शिक्षा नीति के तहत अब स्कूलों में पढ़ाई का तरीका भी बदलेगा। इससे विद्यार्थियों में पढ़ाई का स्तर बढ़ाने और सीखने की ललक पैदा की जाएगी। पहली से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों का हर माह मूल्यांकन टेस्ट भी लिया जाएगा ताकि उनकी पढ़ाई की स्थिति का पता चलता रहे। इस टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर विद्यार्थियों को तीन श्रेणी में विभाजित किया जाएगा।

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जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर होंगे, उनके शिक्षा स्तर में सुधार लाने के लिए रोजाना सुबह एक घंटे की अतिरिक्त कक्षा भी लगेगी। जुलाई माह से टेस्ट लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। हर बच्चे का शिक्षा का स्तर कितना है, संबंधित शिक्षक के हवाले से विद्यालयवार इसकी जानकारी विभाग के पास होनी चाहिए। उसी आधार पर कितने विद्यार्थियों का स्तर बढ़ाया गया है, यह भी रिकार्ड रखा जाएगा। इसका विश्लेषण कर एक डाटा तैयार किया जाएगा और उसी आधार पर अगले वर्ष के लिए योजना बनाई जाए।

हर महीने मूल्यांकन टेस्ट लिया जाएगा

गौरतलब है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का 10वीं व 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम जारी किया जा चुका है। दोनों कक्षाओं में 28 हजार से अधिक विद्यार्थी पास हुए हैं तो 2500 से ज्यादा विद्यार्थियों की कम्पार्टमेंट आई है। वहीं नान बोर्ड कक्षाओं में भी विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम ज्यादा सही नहीं है। ऐसे में विभिन्न विषयों में विद्यार्थियों को आ रही परेशानी व उनके समाधान के लिए अब हर महीने मूल्यांकन टेस्ट लिया जाएगा।

इस श्रेणी में किए विभाजित

श्रेणी-अंक

एल-1 : 50 से 60 प्रतिशत अंक

एल-2 : 34 से 50 प्रतिशत अंक

एल-3 : 33 प्रतिशत अंक

महीने में 15 बार विजिट करेंगे अधिकारी

मूल्यांकन स्तर की जांच करने के लिए डीईओ, डीईईओ, एबीआरसी और बीआरपी स्कूलों का निरीक्षण भी करेंगे। इसके लिए उनकी विशेष ड्यूटी लगाई जाएगी। प्रत्येक अधिकारी को महीने में कम से कम 15 बार निरीक्षण करना होगा। निरीक्षण के दौरान अधिकारी बच्चों की पढ़ाई और ज्ञान का स्तर की जांच करेंगे।

--सदानंद वत्स, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी जींद।


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