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दो शिक्षिकाओं ने पेश की नजीर, कलम के साथ उठाई झाड़ू तो बदल दी स्‍कूल की सूरत

यमुनानगर में शिक्षिकाओं ने दूसरी अध्‍यापकों के लिए नजीर पेश की है। उन्‍होंने जब कलम के साथ झाड़ू उठाई तो स्‍कूल की सूरत की बदल दी। हम बात कर रहे हैं शिक्षिका सीमा रानी और सरिता सारण की।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 11:43 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 12:31 PM (IST)
दो शिक्षिकाओं ने पेश की नजीर, कलम के साथ उठाई झाड़ू तो बदल दी स्‍कूल की सूरत
यमुनानगर के स्‍कूल की शिक्षिका सीमा रानी और सरिता सारण ।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। खुद वो बदलाव करिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं। बैंक कालोनी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय की दीवार पर लिखी इन पंक्तियों को इसी स्कूल की दो शिक्षिकाओं सीमा रानी व सरिता सारण ने आत्मसात किया है। मूल रूप से हिसार की रहने वाली सरिता सारण व सोनीपत की सीमा रानी ने लाकडाउन की वजह से बदहाल हो चुके स्कूल की सूरत बदल दी। दोनों शिक्षिकाओं ने झाड़ू और कस्सी उठाई और स्कूल में उगी घास को उखाड़ दिया।

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लाकडाउन में कई माह तक बंद रहे सरकारी स्कूलों में इस समय बुरा हाल है। कही पर घास उगी, तो कही पर कमरों में मिट्टी जमा है। देखने से भी नहीं लगता यह स्कूल है। शिक्षा विभाग के अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं। स्कूलों में साफ सफाई कराने के आदेश भी शिक्षकों को दिए गए हैं। बैंक कालोनी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में जब डिप्टी डीईओ सुमन बहमनी निरीक्षण के लिए गई, तो वहां पर साफ सफाई देखकर चौक गई। उन्होंने बात की, तो पता लगा कि सीमा रानी व सरिता सारण ने स्कूल में यह साफ सफाई की है। डिप्टी डीईओ सुमन बहमनी का कहना है कि सभी शिक्षकों को इसी तरह से अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। निश्चित रूप से सीमा व सरिता ने बेहतर कार्य किया है। अपने घर की तरह उन्होंने स्कूल को साफ रखा।

किराये पर रहती हैं दोनों शिक्षिकाएं

सरिता सारण यहां विकास नगर और सीमा रानी माडल कालोनी में किराये पर रहती हैं। पहले लाकडाउन की वजह से घर से बाहर नहीं निकल सकी। अगस्त माह में लाकडाउन में छूट मिली, तो वह दोनों घूमने के लिए पार्क में जा रही थी। तभी विचार आया कि स्कूल में जाकर देखते हैं। सीमा व सरिता का कहना है कि उनकी यहां किसी से अधिक जान पहचान नहीं है। इसलिए स्कूल में आए। जब यहां आए, तो स्कूल की हालत बेहद खराब थे। गमलों में लगे पौधे सूख गए थे। बड़ी-बड़ी घास उगी हुई थी। कमरों में मिट्टी जमा थी। गमलें भी दब गए थे। जिस पर स्कूल की सफाई करने का निर्णय लिया। रोजाना शाम को स्कूल में सफाई करने का नियम बना लिया। खुद कस्सी चलाकर घास को साफ किया। झाडू से कमरों व स्कूल परिसर की साफ की। गमलों में नए पौधे लगाए और रोजाना इनमें पानी देने लगे। उनका कहना है कि स्कूल हमारा कार्यस्थल है। जब हम अपने घर में साफ सफाई रखते हैं, तो यहां भी इसी तरह से साफ सफाई रखनी चाहिए। इसमें किस प्रकार की शर्म। यह हमारा फर्ज है। यह किसी दिखावे के लिए नहीं है।


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