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मौत की दिल्‍ली पैरलल नहर, दस दिन में दो कार गिरीं, क्‍यों नहीं जाग रहा प्रशासन

दिल्‍ली पैरलल नहर में हर बार हादसा हो रहा। जानें जा रहीं। इसके बावजूद प्रशासन कोई रास्‍ता नहीं निकाल रहा। दस दिनों में दो कारें गिर चुकी हैं। अब दो युवक डूब गए हैं। जिनकी तलाश की जा रही है। अभी तक उनका पता नहीं चल सका है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 08:47 AM (IST)
मौत की दिल्‍ली पैरलल नहर, दस दिन में दो कार गिरीं, क्‍यों नहीं जाग रहा प्रशासन
दिल्‍ली पैरलल नहर मेें दो युवक डूब गए।

पानीपत, जेएनएन। दिल्ली पैरलल नहर वाहन चालकों के लिए मौत का पर्याय बनती जा रही है। नारायणा और बुड़शाम के बीच विगत दस दिनों में दो कारें नहर में गिरी हैं। इनमें एक उद्यमी की मौत हो चुकी है, जबकि बुधवार शाम डूबे युवकों की तलाश की जा रही है। इससे पहले ही किसान आंदोलन के दौरान राशन लेकर जा रहे दो युवकों की सिवाह पुल के पास नहर में कार गिरने से मौत हो चुकी है। रोड के पश्चिमी किनारे अवरोधक नहीं होने से लोगों में रोष है।

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करीब तीन साल पहले लोकनिर्माण विभाग ने दिल्ली जाने वाली दोनों नहरों के बीच सड़क बनाई थी। जीटी रोड पर ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए इसे बनाया गया था। अच्छा रोड और ट्रैफिक कम होने से वाहन चालक इसका उपयोग करते हैं। यह दिल्ली के अलावा गन्नौर व सोनीपत जाने का रास्ता है। इसके किनारे बसे दो दर्जन गांव वाले भी इसका इस्तेमाल करते हैं। रोड के पूर्वी भाग में जगह-जगह अवरोधक लगे हैं, जबकि पश्चिमी भाग पूरी तरह खुला है। वाहनों के अनियंत्रित होने पर यात्री सीधे नहर में गिर रहे हैं। लोकनिर्माण के जेई कुलबीर सिंह कहते हैं कि एस्टीमेट में अवरोधक का प्रस्ताव भेजा गया था। दोबारा प्रस्ताव भेजने की कोशिश की जाएगी।

अवरोधक जरूरी हैं

अटावला के पूर्व फौजी रामपाल कहते हैं कि दोनों बगल नहर होने से अवरोधक जरूरी है। अवरोधक नहीं होने से हादसे बढ़ रहे हैं। चालकों को जान जाती है। उसके गांव का युवक जतिन भी यहीं हादसे का शिकार हुआ है।

अवरोधक होते तो बचती जान

एनएफएल के पास विकास नगर के प्रेम सिंह कहते हैं कि रोड के किनारे अवरोधक होता तो उसकी कॉलोनी के जतिन की जान बच सकती थी। सरकार को बढ़ रहे हादसे से रोड पर अवरोधक लगाना चाहिए।

अनदेखी न करें

टीडीआइ, पानीपत के नंबरदार बलवीर सिंह कहते हैं कि अवरोधक होता तो शायद नीरज की जान बीच जाती। सरकार ने इसकी अनदेखी कर यात्रियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।

लोगों की जान बचाएं

टीडीआइ के ही संदीप कहते हैं कि यात्रियों के जानमाल की सुरक्षा सरकार का दायित्व है। उसका भतीजा नीरज होनहार था। सरकार को अवरोधक लगाना चाहिए, जिससे और लोगों की जान जाने से बच सके।


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