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किसान आंदोलन का दिखने लगा असर, दिल्‍ली पंजाब जाने वाले यात्री फंसे

किसान अंदोलन की वजह से दिल्‍ली पंजाब जाने और आने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि कानून के विरोध में दिल्‍ली हरियाणा बार्डर पर किसान डटे हैं। इस वजह से बस सेवा पूरी तरह से बंद है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 09:52 AM (IST)
किसान आंदोलन का दिखने लगा असर, दिल्‍ली पंजाब जाने वाले यात्री फंसे
पानीपत के सनौली पर लगा लंबा जाम।

पानीपत, जेएनएन। पांच दिनों से दिल्ली और पंजाब जाने वाले यात्रियों को परेशानी हो रही है। किसान आंदोलन के कारण 26 नवंबर से पानीपत से दिल्ली और पंजाब की बस सेवा पूरी तरह से बंद चल रही है। सोनीपत तक ही बसें जा पा रही हैं।

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पानीपत रोडवेज उत्तर प्रदेश ही बसें भेज रहा है। पहले बार्डर तक बसें जाती थीं। अब सोनीपत तक ही बसें जा रही हैं। इससे दिल्ली जाने वाले यात्रियों को जहां परेशानी झेलनी पड़ रही है वहीं रोडवेज को लाखों रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। रेलवे में भी तीन महीने से जो छह सवारी गाड़ी चल रही है। उनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। उन्हीं पर यात्री निर्भर है।

26 नवंबर से किसान सड़कों पर हैं। किसानों ने पंजाब से दिल्ली के लिए कूच किया हुआ है। जिस कारण 26 नवंबर से ही पंजाब से लेकर दिल्ली तक की बस सेवा बाधित है। पानीपत से दिल्ली और पंजाब के लिए रोजाना 20 से अधिक बसों का संचालन होता था। अब बीते पांच दिनों से दिल्ली और पंजाब के लिए बस सेवा पूरी तरह से बंद है।

चंडीगढ़ के लिए बस सेवा जारी

पानीपत से सोनीपत और चंडीगढ़ तक बस सेवा जारी है। दिल्ली जाने वाले यात्री पहले यूपी से होकर पहुंच रहे थे, लेकिन अब यूपी में भी किसान आंदोलन ने रफ्तार पकड़ ली है। इस कारण दिल्ली और पंजाब जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, दिल्ली के रोजाना छह ट्रेन चल रही हैं। एसएस धीरज कपूर ने बताया कि तीन चार माह पहले जो ट्रेन सेवा शुरु की थी वही सवारी गाडिय़ां चल रही हैं। आगामी 15-20 दिन में गाडिय़ों की संख्या बढ़ सकती है।

दिल्ली के लिए ट्रेनों का समय

सुबह 10:15 शताब्दी एक्सप्रेस

सुबह 11:30 सचखंड एक्सप्रेस

दोपहर 2:35 पश्चिम एक्सप्रेस

शाम 3:55 गीता जयंती एक्सप्रेस

शाम 5:10 मालवा एक्सप्रेस

रात 10:40 शहीद एक्सप्रेस

कंबल उद्योग को लॉक डाउन से भी बड़ा  धक्का

किसान आंदोलन का धक्का गर्म कपड़े के कारोबारियों की सबसे अधिक लगा है। पानीपत में नवंबर और दिसंबर दो महीने कंबल उद्योग का सीजन पीक पर होता है। आधा माल इन दो महीनों में बिकता है। कोराना लाक डाउन के समय कंबल उद्योगों को इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ा था जो अब किसान आंदोलन के कारण उठाना पड़ रहा है। 1500 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। एक हजार टन मिंक कंबल रोजाना पानीपत में बन रहा। इसके अलावा थ्री चादर, पोलर कंबल का उत्पादन होता है। इन दिनों न तो कच्चा माल आ रहा है। अन्य प्रदेशों कंबल जा नहीं रहा है। आर्डर भी रद्द हो रहे हैं। कंबल उद्योगों को वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं मिल रही है।


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