सिलाई का हुनर सिखा कर महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
जागरण संवाददाता, समालखा : कस्बे के काली रमण पाने की हेमलता स्वयं आत्मनिर्भर होकर सात साल से सौ
जागरण संवाददाता, समालखा :
कस्बे के काली रमण पाने की हेमलता स्वयं आत्मनिर्भर होकर सात साल से सौ महिलाओं को उन्नति की राह दिखा चुकी हैं। वह सेवा भारती संस्था से सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब यहीं महिलाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। अभी भी उसके पास गरीब व मध्यम तबके की 16 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही है, जिनमें विधवा व युवती भी शामिल हैं।
मूल रूप से मथुरा (उत्तर प्रदेश) निवासी हेमलता शर्मा 14 साल पहले समालखा आई थी। पति निजी फैक्ट्री में काम करते हैं। बच्चों के स्कूल और पति के काम पर चले जाने के बाद वह घर पर अकेली रहती थी। परिवार और बच्चों के बढ़ते स्कूली खर्च को देखते हुए उसने आर्थिक उपार्जन के लिए कालीरमण पाना स्थित सेवा भारती के सिलाई केंद्र में एक साल का प्रशिक्षण लिया। 2009 में कोर्स खत्म होने के बाद दूसरों को सिलाई का ज्ञान नि:शुल्क सिलाई का ज्ञान बांटने लगी। विगत सात सालों से वह प्रत्येक साल 16 महिलाओं को प्रशिक्षित करती आ रही हैं। उनके द्वारा प्रशिक्षित विधवा, विकलांग व अन्य जरूरत मंद महिलाएं स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हो गई। सभी अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। दूसरे के ऊपर उनकी निर्भरता समाप्त हो गई है। अब महिलाओं को अगले साल उसके पास प्रशिक्षण लेने के लिए पहले ही रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। केंद्र में मौजूद संसाधन से एक साथ 16 महिलाओं को ही प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
हेमलता कहती है कि सभी के लिए 24 घंटे का ही समय होता है। सुबह पांच बजे उठकर जहां वह बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती है। वहीं घर की साफ सफाई कर पति को भी नाश्ता देकर काम पर भेजती है। फिर स्वयं की दिनचर्या पूरी कर प्रशिक्षण केंद्र पर चली जाती है। सुबह 10 से दोपहर बाद 1 बजे तक महिलाओं को सिलाई सिखाती है। वहां से आने के बाद रसोई व दुकान का काम संभालती है।
घर को बनाया टेल¨रग स्टोर
हेमलता दूसरों के लिए रोल मॉडल हैं। इसके घर में टेल¨रग स्टोर है, जिसमें सिलाई से संबंधित कैंची, रंग बिरंगे धागे, सूई, सामान्य रूप से प्रयोग करने वाले कपड़े आदि हैं। उसकी प्रेरणा से आसपास की महिलाओं ने भी यह काम शुरू कर दिया है। प्रशिक्षण लेकर वे भी सिलाई का काम करने लगी हैं।