पानीपत में खेलते-खेलते तालाब में डूबे दो मासूम, परिवार में मची चीख पुकार
पानीपत में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। तालाब में डूबने की वजह दोनों की जान चली गई। हादसा वार्ड 11 की सैनी कालोनी में हुआ। एक के हाथ पर तीन लिखा था इसी तारीख को जान गई। परिवार में कोहराम मचा है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। नगर निगम की 12 हजार वर्ग गज जगह पर बने तालाब में डूबने से दो मासूमों 11 वर्षीय नितिन और 13 वर्षीय नीरज की मौत हो गई। दोनों बच्चे खेलने के लिए तालाब के पास पहुंचे थे। इसी दौरान दोनों अंदर चले गए और पानी में डूब गए। इनके साथ दो और बच्चे खेल रहे थे। जब दोनों ने देखा कि उनके साथी डूब रहे हैं तो शोर मचा दिया। करीब पौने घंटे बाद दोनों शवों को तालाब से बाहर निकाला जा सका।
हादसा पानीपत की वार्ड 11 की सैनी कालोनी में हुआ। हादसे में नगर निगम की लापरवाही भी सामने आ रही है। अगर यहां पंप सेट चलाकर पानी निकाल दिया गया होता और चाहरदीवारी की गई होती तो हादसा ही नहीं होता। तीन दिन पहले ही निगम कमिश्नर आरके सिंह ने यहां दौरा कर इस समस्या के समाधान का निर्देश भी दिया था। इससे पहले कि सरकारी सिस्टम हरकत में आता, दो मासूमों की जान चली गई।
नितिन तीन भाई बहनों में सबसे बड़ा था। उससे छोटा भाई कार्तिक व बहन वंशिका है। पिता पवन और मां माया फैक्ट्री में काम करते हैं। कोरोना के बीच स्कूल नहीं खुल पाने के कारण तीनों भाई-बहन घर पर ही रहते थे। मां माया ने रोते हुए बताया कि नितिन रोज उसे साढ़े तीन से चार बजे फैक्ट्री में चाय देकर आता था। तीन बजे ही चाय लेकर आया और बिना कुछ बातचीत किए चला गया। उसने नाम लेकर कई बार आवाज लगाई, परंतु वो मुड़कर नहीं आया। कुछ देर बाद आई तो उसके तालाब में डूबने की खबर आई।
आखिरी बार चाय पिलाकर चला गया बेटा
रोते हुए मां कहने लगी, मुझे आखिरी बार भी चाय पिलाकर गया मेरा लाल। जन्माष्टमी पर वो कन्हैया बना था। उसने हाथ पर नाम के साथ आगे तीन ही गुदवा रखा था। हमें क्या पता था की वो तीन तारीख को ही हमें छोड़कर चला जाएगा।
नाना को रोटी खिला घर से निकला
नीरज तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था। वह भी स्कूल नहीं जा रहा था। पिता सुशील की करीब छह साल पहले बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। पहले आठ मरला में रहते थे। ससुराल वालों के साथ किसी कारण विवाद होने पर मां सुमन उसे लेकर सैनी कालोनी में रहने लगी थी। बड़ा बेटा प्रिंंस व उससे छोटी बेटी प्रियंका अपने दादा-दादी के पास ही रहते हैं।
शुक्रवार को मां सुमन फैक्ट्री में गई हुई थी। नाना महेंद्र अस्पताल दवा लेने के लिए आ गया। करीब ढाई बजे वो लौटा तो नीरज ने उन्हें खाने के लिए रोटी दी। फिर वो घर से निकल गया। करीब आधे घंटे बाद उसके तालाब में डूबने की सूचना आई। बेटे के डूबने से मां का रो रोककर बुरा हाल था।
मैं चाय पीने चला गया, तभी डूबे बच्चे
कबाड़ी की दुकान पर काम करने वाले कौशर ने जागरण को बताया कि तालाब की दूसरी तरफ किनारे पर चार पांच बच्चे खड़े थे। वह काम बंद कर चाय पीने के लिए चला गया। तभी उनमें से दो बच्चे डूब गए। अगर वह यहां रहता तो जरूर बचा लेता। तालाब में आस-पास के घरों व बारिश का पानी जमा होता है। यहां अकसर कालोनी के बच्चे आकर नहाने के लिए उतर जाते हैं। अगर ये पता होता की ये बच्चे भी तालाब में नहाने के लिए आए हैं तो उन्हें भी भगा देता।